
लखीमपुर (असम): पिछले चार महीनों से वेतन का भुगतान नहीं किये जाने के कारण लखीमपुर पौर सभा के कर्मचारी व सफाईकर्मी कल से धरने पर बैठे हुए हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। यह कोई नई बात नहीं है। प्रत्येक तीन-चार माह के अंतराल से उनके वेतन का भुगतान बन्द कर दिया जाता है वे काम बंद कर देते हैं और सर्वत्र गंदगी का नजारा दिखाई देने लगता है। क्या यही है सरकार और जिला प्रशासन का स्वच्छता अभियान? शहर की सड़कों के किनारे लगाए गए स्ट्रीट लाइट महीनों से फ्यूज है उन्हें जलाये जाने की व्यवस्था नहीं है।
लखीमपुर पौर सभा परिसर में कल से ही सफाई कर्मचारी धरने पर बैठकर प्रतिवाद जाहिर कर रहे हैं। प्रतिवादी सफाई कर्मी ‘हमारी मांग पूरी करो’, ‘पौर सभा के अधिकारी की मनमानी नही चलेगी’ आदि नारे लगा रहे थे।
धरने पर बैठे हरिजन समाज के युवा समाज कर्मी दिलीप बासफोर ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि वे असम सरकार के मुख्यमंत्री से जानना चाहते हैं कि क्या सफाईकर्मी मनुष्य नहीं हैं? बार बार सफाई कर्मचारियों को वेतन के लिए हड़ताल करना पड़ता है? कल से सफाईकर्मी धरने पर बैठे हुए है। अभी तक प्रशासन का कोई अधिकारी उनसे पूछने नही आया कि तुम लोग काम पर न जाकर यहाँ क्यों बैठे हुए हो? हमनें काम किया है और काम के बदले अपने वेतन की मांग कर रहे है जो हमारा हक है। इसलिए सरकार और जिला प्रशासन से मांग करते है कि सरकार सफाईकर्मियों को लेकर खिलवाड़ न करे। दुर्गा पूजा के पहले हमारा प्राप्य बकाये वेतन का भुगतान करे अन्यथा हम जोरदार आंदोलन करेंगे।

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