पासीघाटः अरुणाचल प्रदेश की प्राकृतिक सौंदर्यता को चार चांद लगाने वाली और अपनी नीले रंग की जल के कारण प्रसिद्ध सियांग नदी का पानी पिछले करीब 4 सालों से कभी सीमेंट युक्त पानी, तो कभी नदी का जल स्तर अचानक कम हो जाना और कभी सियांग नदी में दो -तीन मीटर तक उंची उठती लहरों का रौद्र रुप देखकर अरुणाचलवासी चिंतित हो जाते हैं।
तिब्बत के निकलने वाली सांगफों नदी अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न भागों से होकर सियांग नदी के रुप में बहती है और यह नदी असम में जाकर ब्रह्मपुत्र नद बन जाता हैं।
अरुणाचल प्रदेश के ईस्ट सियांग जिला के पासीघाट के लोगो ने पिछले 4 सालों से इस नदी के जल का रंग बदलने की घटना से पड़ोसी देश चीन की कोई हरकत करार देते रहे हैं, मगर हर बार चीन इस पर इंकार कर देता हैं।
सियांग नदी के अप्राकृतिक बदलाव पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व केन्द्रिय मंत्री तथा वर्तमान पासीघाट (पश्चिम) के विधायक निनोंग ईरींग ने कहा हैं कि चीन ने हमेशा से कहा हैं कि वो दुनिया का सबसे बड़ा पनबिजली परियोजना पर काम कर रहा हैं। शायद इसिलिये बार-बार सियांग नदी का पानी गंदा हो जाता हैं और कभी-कभी इसका जलस्तर कम हो जाता है। अगर ऐसा ही रहा तो अरुणाचल, असम और बांगलादेश रेगिस्तान बन सकते हैं।
साथ ही उन्होंने कहा कि सियांग नदी पर चीन बड़ा बांध बना रहा हैं अगर किसी कारणवश यह बांध टूट जाता हैं तो असम और अरुणाचल पूरी तरह से तबाह हो जायेंगे।
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