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अंतिम चरण में तवांग की सेला सुरंग का निर्माण कार्य

तेजपुर-तवांग के बीच यात्रा के समय में कम से कम एक घंटे की कटौती करेगी ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन सीमा पर बन रहे सेला सुरंग की निर्माण अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण की निर्माण पूरी होने पर यह 13,000 फीट से ऊपर की ऊंचाई पर […]

तेजपुर-तवांग के बीच यात्रा के समय में कम से कम एक घंटे की कटौती करेगी

ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन सीमा पर बन रहे सेला सुरंग की निर्माण अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण की निर्माण पूरी होने पर यह 13,000 फीट से ऊपर की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी द्वि-लेन सड़क सुरंग होगी।  यह सेला दर्रे के 4,200 मीटर के नीचे खुदाई की जा रही है। यह सुरंग अरुणाचल प्रदेश को हर मौसम में संपर्क प्रदान करने का वादा करती है। बताया गया कि  यह सुरंग ने न केवल पूर्वाेत्तर में कनेक्टिविटी को बढ़ाएगा बल्कि महत्वपूर्ण रणनीतिक भूमिका भी निभाएगा। 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सुरंग से तवांग से चीन सीमा तक की दूरी में 10 किमी की कटौती होने की उम्मीद है। सुरंग असम के तेजपुर और तवांग में सेना के 4 कोर मुख्यालयों के बीच यात्रा के समय में कम से कम एक घंटे की कटौती करेगी। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने 2018-19 के बजट में 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित सेला दर्रे के माध्यम से एक सुरंग बनाने की सरकार की योजना की घोषणा की थी जो तवांग में सैनिकों की तेज आवाजाही सुनिश्चित करेगी।  9 फरवरी, 2019 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सेला सुरंग की आधारशिला रखी थी। अन्य एक रिपोर्ट के अनुसार यह सुरंग का निर्माण 1 अप्रैल 2019 को शुरू हुआ था और इसके निर्माण के लिए पहला धमाका 31 अक्टूबर, 2019 को किया गया था। 

मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग के अंतिम सफल विस्फोट का संचालन करेंगे। सूत्रों ने कहा कि इस सुरंग की निर्माण कार्य जून 2022 तक पूरा हो जाएगा। नवीनतम न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) का उपयोग से निर्मित यह महत्वपूर्ण सुरंग स्नो लाइन से काफी नीचे है और इसे सभी मौसमों के दौरान यात्रा को सुलभ बनाती है। 

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