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हिंदी साहित्य के यशस्वी लेखक मुंशी प्रेमचंद के जंयती सम्पन्न

जोनाई: हिंदी  साहित्य के यशस्वी लेखक मुंशी प्रेमचंद के जन्म दिवस के पावन अवसर पर हिंदी  साहित्य भारती असम  और मरिधल महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 31 जुलाई को प्रेमचंद जयंती का भव्य आयोजन किया गया। हिंदी साहित्य भारती असम के अध्यक्ष तथा तेजपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष प्रोफेसर अनंत […]

जोनाई: हिंदी  साहित्य के यशस्वी लेखक मुंशी प्रेमचंद के जन्म दिवस के पावन अवसर पर हिंदी  साहित्य भारती असम  और मरिधल महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 31 जुलाई को प्रेमचंद जयंती का भव्य आयोजन किया गया। हिंदी साहित्य भारती असम के अध्यक्ष तथा तेजपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष प्रोफेसर अनंत कुमार नाथ की अध्यक्षता तथा हिंदी साहित्य भारती असम शाखा की महामंत्री तथा मरिधल महाविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉक्टर जोनाली बरुवा के संयोजन में आयोजित इस ऑनलाइन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के हिंदी विभाग के आचार्य एवं अध्यक्ष डॉ नवीन चंद्र लोहानी  के साथ साथ असम के विभिन्न महाविद्यालयों व विद्यालयों के शिक्षक उपस्थित थे। 

महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर आयोजित इस कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ता के रूप में तेजपुर विश्वविद्यालय के सहायक निदेशक (राजभाषा) डॉ कुल प्रसाद उपाध्याय, डॉ. मंजूमणि सइकिया और  बबिता अग्रवाल उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मरिधल महाविद्यालय की छात्रा मेघना पाटोवारी द्वारा प्रस्तुत सुमधुर बरगीत से किया गया। अपने स्वागत संबोधन में डॉक्टर जोनाली बरुवा ने उपस्थित सभी का स्वागत करते हुए वर्तमान समय में प्रेमचंद की प्रासंगिकता का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें प्रेमचंद के आदर्श पात्रों की तरह ही अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने का साहस जुटाना होगा। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉक्टर लोहानी  ने प्रेमचंद जयंती  की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मुंशी प्रेमचंद भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में एक समादृत नाम है। वैश्विक साहित्य में मैक्सिम गोर्की और लूसुन के साथ प्रेमचंद को भी पहचाना जाता है। 

उन्होंने मुंशी प्रेमचंद के समग्र साहित्य पर भी संक्षिप्त प्रकाश डाला। कार्यक्रम के आयोजकों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि इससे असम के लोगों का हिंदी प्रेम झलकता है। इसी तरह असमिया साहित्य को वैश्विक फ़लक पर ले जाने का प्रयास भी किया जाना चाहिए।  तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से असम की साहित्य एवं संस्कृति को  प्रेमचंद की निबंध प्रतिभा पर अपना वक्तव्य रखते हुए डॉ कुल प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि प्रेमचंद एक महान उपन्यासकार, लोकप्रिय गल्पकार होने के साथ-साथ एक प्रतिभाशाली निबंधकार भी थे। उन्होंने विभिन्न विषयों पर कई स्तरीय निबंध लिखे हैं।  डॉक्टर मंजूमणि सइकिया (प्राध्यापिका लखीमपुर कमार्स कालेज) ने वर्तमान समय में प्रेमचंद की प्रासंगिकता और बबिता अग्रवाल(शिक्षिका धेमाजी आदर्श विद्यालय) ने प्रेमचंद की रचनाओं में नारी विषय पर अपने अपने विचार रखे। डॉ. जोनाली बरुवा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ ही कार्यक्रम के समाप्ति की घोषणा की गई।

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