नई दिल्लीः 12 साल पहले सन 2008 में उतर प्रदेश के अमरोहा जिला में बावनखेड़ी हत्याकांड (Bawankhedi massacre) ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, जब एक महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार को कुल्हाड़ी से काटकर रख दिया। अब यह केस एक बार फिर से चर्चा में है। शबनम (Shabnam) और सलीम (Saleem) के इश्क की खूनी दास्ता भले ही फांसी के फंदे तक पहुंच चुकी हो, लेकिन खूनियों को उनके अंजाम तक पहुंचने में पूरे 12 सालों का वक्त लगा। 14 अप्रैल 2008 को ये खूनी खेल खेला गया था, जहां शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी थी। उस समय इस घटना के बारे में सुनकर सभी के पैरों तले जमीन खिसक गई थी। शबनम की फांसी की सजा पर अब राष्ट्रपति ने भी मोहर लगा दी है यानि शबनम का फांसी पर लटकना तय हो चुका है। आजाद भारत के इतिहास में शबनम देश की पहली महिला होगी, जिसे फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा।
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कौन है शबनम?
अमरोहा के बावनखेड़ी में रहने वाले शौकत अली पेशे से शिक्षक थे। शबनम उनकी इकलौती बेटी थी, जिसे शौकत अली शिक्षक बनाना चाहते थे। शबनम ने एमए किया हुआ है। उसका अपने घर के सामने रहने वाले सलीम से उसका इश्क हो गया। दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन शबनम शैफी थी तो सलीम पठान। ऐसे में शबनम के परिवार को ये रिश्ता मंजूर नहीं था। लेकिन दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा। सलीम शबनम से मिलने बिना नागा रात को उसके घर पर आता। लेकिन दोनों को यूं छुप-छुपकर मिलना गवारा नहीं हुआ।
क्या है पूरा मामला?
अप्रैल 2008 की वो खूनी रात, जब शबनम ने सलीम को घर बुलाया और फिर दोनों ने मिलकर खेला ये खूनी खेल। शबनम ने रात में सभी को खाने में नींद की गोलियां देकर सुला दिया। आधी रात में शबनम और सलीम ने मिलकर नशे की हालत में सो रहे पिता शौकत, मां हाशिमी, भाई अनीश, भाभी अंजुम, बहन राबिया, उसकी बहन और भतीजे अश्क का कुल्हाड़ी से गला काटकर सबको मौत की नींद सुला दिया।
घटना को अंजाम देकर सलीम तो वहां से भाग गया, लेकिन शबनम रातभर घर पर ही रही। तड़के उसने शोर मचाकर गांववालों को बुलाया और कहा कि बदमाश धर में घुस आए और परिवार के सभी लोगों को कुल्हाड़ी से काट डाला है। घटना के बारे में सुनकर गांववाले वहां पहुंचे। उन्होंने जो नजारा वहां देखा उनके पैरों के तले से जमीन खिसक गई। तीन मंजिला मकान में एक मासूम सहित सभी लोगों के गले कटे पड़े थे और चारों तरफ खून ही खून था। दिन निकलने तक अमरोहा का गांव बावनखेड़ी देशभर में छा गया।
पुलिस ने छानबीन शुरू की तो शक की सुई शबनम की तरफ ही घूमी। घटना के चैथे दिन पुलिस ने शबनम और सलीम को हिरासत में लिया। शबनम के फोन की काॅल डिटेल्स से सारा राज फाश हो चुका था। दोनों ने कबूल किया कि उन्होंने ही इस घटना को अंजाम दिया था। कत्ल में इस्तेमाल हुई कुल्हाड़ी गांव के एक तालाब से बरामद की गई। निचली अदालत ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने भी इनकी सजा को बरकरार रखा। अब राष्ट्रपति ने भी इनकी दया याचिका को खारिज कर दिया है। तो अब शबनम को फांसी लगना तय हो चुका है।
हत्याकांड के समय शबनम थी गर्भवती!
शबनम और सलीम लगभग हर रोज मिलते थे। दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन चुके थे। जिस समय दोनों ने इस घटना को अंजाम दिया उस समय शबनम दो माह की गर्भवती थी। ऐसे में भी शबनम के हाथ अपने 10 माह के मासूम भतीजे अश्क का गला काटने में बिलकुल नहीं कांपे। बाद में शबनम ने जेल में एक बेटे को जन्म दिया।
लेकिन, जिस तरह की घटना बावनखेड़ी में हुई उसने इलाके को ही नहीं पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। परिवार की इकलौती बेटी ने जिस तरह पूरे परिवार का निर्दयता से खात्मा किया उसने रिश्तों को शर्मसार कर दिया।
शबनम आजाद भारत की पहली महिला होगी, जिसे फांसी पर लटकाया जाएगा। भारत की आजादी के बाद, देश में पहली बार एक महिला को उसके आपराधिक कृत्य के लिए फांसी दी जा रही है। इसके लिए मथुरा जेल (Mathura Jail) में तैयारी भी शुरू कर दी गई है। अमरोहा (Amroha) के रहने वाले शबनम (Sabnam) को मृत्युदंड (Capital punishment) दिया जा रहा है। निर्भया (Nirbhaya) के दोषियों को फांसी देने वाले पवन जल्लाद (Pawan executioner) भी दो बार मथुरा जेल के फांसी घर का निरीक्षण कर चुके हैं। अब शबनम की फांसी की तारीख प्रशासन तय करेगा।
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