लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय प्रदेश में परंपरागत और प्राकृतिक चिकित्सा को नई दिशा देगा। उन्होंने कहा कि विगत डेढ़ साल से दुनिया कोरोना महामारी से त्रस्त है। इस दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए संपूर्ण विश्व ने भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों का अनुसरण किया। ऐसे में इस परंपरागत चिकित्सा पद्धति को एक मंच देने के लिए प्रदेश में आयुष विश्वविद्यालय बनाने का निर्णय लिया गया।पिपरी गांव में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास एवं भूमि पूजन के मौके पर सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश के सभी इंजीनियरिंग कॉलेज व तकनीकी संस्थानों को एक सूत्र के साथ जोड़ने की दिशा में उत्तर प्रदेश में टेक्निकल यूनिवर्सिटी कार्यरत है। वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से लखनऊ में अटल मेडिकल यूनिवर्सिटी का शिलान्यास हुआ। यह मेडिकल यूनिवर्सिटी सभी मेडिकल कॉलेजों का नियमन करेगी। इसी तरह अब भारतीय चिकित्सा पद्धति के कॉलेजों को एक सूत्र में पिरोने का काम आयुष विश्वविद्यालय करेगा।
महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के शिलान्यास समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हल्दी के पानी का उदाहरण देकर भारतीय परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों की महत्ता समझाई। सीएम योगी ने कहा कि विगत डेढ़ साल से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से त्रस्त है। इस दौरान दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं होगा जिसने इस महामारी से लड़ने के लिए, रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए भारत की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों का अनुसरण न किया हो। हल्दी घर-घर में प्राचीन काल से उपयोग करते रहे हैं। आज अगर दुनिया के अंदर आप जाएंगे तो लोग लाइन में लगकर हल्दी का पानी पीने के लिए खड़े रहते हैं कि हमें भी हल्दी का पानी मिल जाए। जबकि हमारे यहां कोई भोजन ऐसा नहीं जिसमें हम हल्दी का सेवन न करते हों।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि योग की समस्त विशिष्ट विधाएं, हठ योग, राज योग, लय योग या मंत्र योग, जिन्हें व्यावहारिक या क्रिया योग भी कहते हैं, इसके जनक महायोगी गुरु गोरखनाथ ही माने जाते हैं। उन्होंने कहा कि महायोगी गोरखनाथ आयुर्वेद के रसशास्त्र के भी जनक हैं। योग के कई आसन नाथ योगियों के नाम पर हैं। नवनाथों और 84 खनिजों के रस से जिस आपातकालीन दवाओं का प्रयोग चिकित्सा क्षेत्र में किया गया, उसके प्रणेता भी गुरु गोरखनाथ ही हैं। ऐसे में इस विश्वविद्यालय को उन्हें समर्पित किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुष विश्वविद्यालय प्रदेश के 94 आयुष महाविद्यालयों में स्नातक की 7500 और परास्नातक की 525 सीटों के पाठ्यक्रम, सत्र, परीक्षा और परिणाम का नियमन करेगा।
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