लखनऊ: फिल्म सिटी के विकास की कार्ययोजना को तेज गति से आगे बढ़ाने के साथ ही सरकार की नजर फिल्मों के नाम पर किये जाने वाले हेरफेर पर है। फिल्मों की निगरानी और परीक्षण के लिये यूपी में स्क्रीनिंग कमेटी बनाने के आदेश भी दिये गये हैं। प्रदेश में अश्लील गानों और सीन वाली भोजपुरी फिल्मों को सरकारी अनुदान नहीं दिये जाने की अफवाहों पर अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रदेश में बनने वाली सभी भाषाओं की फिल्मों की अप्रूव्ड स्क्रिप्ट के पर्दे पर आने के बाद उसमें किये गये बदलाव को बर्दाशत नहीं किया जाएगा। उन्होंने साफ कहा है कि केवल भोजपुरी ही नहीं हिन्दी और अन्य भाषाओं की प्रदेश में बनने वाली फिल्मों में उन्हीं को अनुदान मिलेगा जिनकी अप्रूवड स्क्रिप्ट में कोई बदलाव नहीं होगा। इसकी विभिन्न स्तर पर जांच होगी।
फिल्मों में अश्लीलता और अनैतिकता को बढ़ाने वाला कंटेंट भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। बता दें कि सरकारी अनुदान उन फिल्मों को मिलता है जिनकी शूटिंग, एडिटिंग या अन्य चीजें उत्तर प्रदेश में की गई हों। वहीं अगर कोई फिल्म सरकार की स्क्रीनिंग कमेटी के आधार पर नहीं उतरती है तो उसे सरकारी अनुदान नहीं दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि फिल्मों की निगरानी और परीक्षण के लिए सेंसर बोर्ड की तरह यूपी में भी स्क्रीनिंग कमेटी बनाई जाएगी।
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