इंसानों ने दुनिया जब भी देखी वह ज्यादातर सामने से देखी, और देखते वक़्त उनकी चमक ऐसी रही की जैसे वह दुनिया जय कि तय सालों साल चलती रहेगी, लेकिन दुनिया बदली तो फिर इंसानों को अपनी नजर भी बदलनी पड़ी, फिर उन्होंने आधी देखी, ताड़ी देखी, ऊपर देखी, नीचे देखी, यहां भी देखी जहां देखना नामुमकिन था, पर फिर बात हुई कि अब इसे विभाजित करके देखना होगा, इसके लिए बुलाए गए कलाकार, अब कलाकार एलओसी पर बैठे दुनिया विभाजित करें जा रहा है, उन्हें भय हो रहा है, पर फिर भी करें जा रहा है, इस काल्पनिक कहानी को बुना गया एक कला प्रदर्शनी के दौरान, ऐसा नहीं था कि इसमें सिर्फ कला कि प्रदर्शनी हुई इसके अलावा रीडिंग थिएटर भी प्रस्तुत किए गए और अविस्ता नामक वर्कशॉप भी प्रस्तुत किया गया, जिसका परिणाम दर्शकों को कॉलार्ज के रूप में दिखाया गया ।इनकी खास बात ये थी कि चाहे प्रदर्शनी हो या नाटक या कलार्ज इन सभी को दो रंगों में दर्शाया गया जिसके भीतर और जिसके ऊपर कई रंगों का प्रवेश-निवेश है ‘ब्लैक-व्हाइट‘ और इस पूरे कार्यक्रम का नाम रहा “ब्लैक-O-रामा”। चित्तरंजन पार्क स्तिथ स्टूडियो एगॉन में प्रायोजित किए गए इस प्रदर्शनी के प्रायोजक रहे सनसप्तक नाट्य समूह, इस कार्यक्रम में कई कलाकारों ने हिस्सा लिया, अपने कला से उन्होंने विविधता का अनोखा प्रदर्शन भी दिया।
लेकिन सवाल वहां खड़ा होता है कि आखिर ये कार्यक्रम था क्या और इसका इतिहास क्या है ?
यह कलात्मक खोज वर्ष 2016 में शुरू हुआ और तब से इसके निरंतर विकास को देखते हुए इसे अलग-अलग चरणों में दर्शाया गया, संसप्टक का मानना है कि ये समूह के गुरु और दूरदर्शी श्री तोरिट मित्रा की नाटकीय और कलात्मक पूछताछ का परिणाम है, कुछ मोहलत बाद इस कलात्मक खोज को कलात्मक आंदोलन के रूप में दिशा दी गई और समूह ने इसे ‘थियेटर ऑफ द डार्क’ नाम दिया। सन 1992 में अपनी स्थापना के समय से ही संस्थान निरंतर प्रयोगों और अन्वेषणों के माध्यम से
इस पथ पर उत्साह और अभिलाषा के साथ चले जा रहा है।
‘थियेटर ऑफ द डार्क’की मूल्य अभिव्यक्ति क्या है ?
संसप्तक का कलात्मक आंदोलन ‘थियेटर ऑफ द डार्क’, अति-वास्तविकता( supra-reality) और अस्तित्व की छिपी स्थितियों की ओर एक सौंदर्यवादी दृष्टिकोण है।
समूह ने इस कार्यक्रम के दौरान इसके सार का कुछ इस तरह उल्लेख किया है ‘भय एक ऐसा अनुभव है जिससे हम सभी समान रूप से प्रभावित होते हैं और एक कलाकार को स्वतंत्रता की प्राप्ति और सभी भय से मुक्त होने के लिए आंतरिक भय से लड़ने की आवश्यकता होती है। कलाकार का हर कार्य इसी स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति की ओर होना चाहिए। यह एक युद्ध है! हम सब युद्ध की स्थिति में हैं!‘।
अब इसके आगे की कहानी कुछ ये थी…
Sansaptak ने विजुअल आर्टिस्ट, संगीतकारों और थिएटर कलाकारों के साथ मिलकर ‘थिएटर ऑफ़ द डार्क’ पर आधारित मल्टिलिंगुल,मल्टीमीडिया और कई विषयों वाली प्रदर्शनी ब्लैकोरमा प्रस्तुत किया। सभी एक ‘अल्टरनेटिव स्पेस‘ खोजने के लिए कई तरीकों से प्रयोग कर रहे हैं जहाँ कला के अलग रूपों को एक साथ व्यक्त किया जा सकता है। और एक ऐसा अनुभव जो मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक दोनों रूप से गतिशील हो। सनसप्टक इसका श्रेय देता है श्रीमोई दासगुप्ता को जिन्होंने ब्लैकोरामा को आकार दिया,श्रीमोई दासगुप्ता इसका पूरा श्रेय श्री तोरिट मित्रा द्वारा लिखित छह नाटकों को देते हुए कहती है कि ‘ये पूरा कार्यक्रम इन्हीं नाटकों पर आधारित है‘।
परियोजना के चार अंग थे: दृश्य कला प्रदर्शनी, रंगमंच प्रदर्शन, ऑडियो-विजुअल पुस्तकें और प्रकाशन। अंजन बोस द्वारा क्यूरेट किए गए कला महोत्सव का उद्घाटन प्रसिद्ध कवि और कला समीक्षक श्री प्रयाग शुक्ला और लेखक विक्रम चोपड़ा गया था।
प्रदर्शनी में कलाकार तोरीट मित्रा, अंजोन बोस, राहुल चौधरी, अंजलि बावासे, राणा मित्रा, अयान बनर्जी, सरनेन्दु चाकी, श्रीमोयी दासगुप्ता, तथागत चाकी, रूमा बोस और सदस्य कलाकारों द्वारा वर्कशॉप के माध्यम से किए गए कोलाज की कलाकृतियां, प्रिंट, फोटोग्राफी का प्रदर्शन किया गया है।
प्रदर्शनी का एक भाग रीडिंग थिएटर, तोरिट मित्रा द्वारा लिखित छह बहुभाषी नाटकों को प्रदर्शित करता है, जिसमें “प्रेत ओ मानुष” में राणा मित्रा और सरनेन्दु चाकी ने अभिनय किया; परोमा भट्टाचार्य और श्रीमोई दासगुप्ता द्वारा अभिनय किया गया “प्रलोभन और प्रार्थना”; “श्राद्धो अच्छा ओ उल्लाश” में कौशिकी देब और अपर्णा बनर्जी द्वारा अभिनय किया गया; “लोनली भावुक और ड्रंकार्ड” में सचिन बिष्ट और सुबीर मैती ने अभिनय किया गया; “नोभोशचोर ओ बरंगोना” में अयान बनर्जी और रूमा बोस द्वारा अभिनय किया गया; और “यंग मैन एंड हिज़ कंपेनियन” में अंजन बोस और अनिंदिता सेठ द्वारा अभिनय किया गया।
उत्सव का समापन प्रसिद्ध कलाकार आनंदमय बनर्जी की उपस्थिति के साथ हुआ, जिसमें श्री तोरिट मित्रा द्वारा लिखित और श्री दीपांकर खान और श्रीमती रूमा बोस के साथ प्रस्तुत एक दिलचस्प नाटक “ओलोकिक ओबाबाश”के साथ महोत्सव का समापन हुए हालाकि प्रदर्शनी को दर्शकों के लिए 15 जनवरी तक जारी रखा गया है इसके साथ ही साथ अनिर्बान रॉय चौधरी, अरित्रा बनर्जी, अमन कार्यक्रम की रीढ़ साबित हुए।