गठिया के मामले में लगभग 1 मिलियन मामलों के साथ भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में 40 साल से कम उम्र की आबादी में इसका प्रसार अपेक्षाकृत अधिक है। भारत में हर तीसरा व्यक्ति गठिया के रोग से पीड़ित है। यह भारत में शारीरिक अक्षमता के प्रमुख कारणों में से एक के रूप में भी उभर रहा है। इस बीमारी से पीड़ित मरीज़ों की हालत सर्दी में और ज्यादा ख़राब हो जाती है। उनके दर्द की बिगड़ती स्थिति के साथ, उनकी गतिविधियाँ/गतिशीलता प्रतिबंधित हो जाती है क्योंकि वे जोड़ों में जकड़न का अनुभव करते हैं।
वर्श में इस समय के दौरान तापमान में गिरावट और मौजूदा लक्षणों की बिगड़ने के बीच एक मजबूत संबंध है। ठंड के मौसम में शरीर गर्मी का संरक्षण करता है और मानव शरीर के केंद्र, जैसे कि हृदय या फेफड़ों में अधिक रक्त भेजता है। ऐसा होने पर वाहों, कंधों और घुटने के जोड़ों में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं। परिणाम स्वरूप, कम रक्त प्रवाह उन स्थानों को और भी ठंडा और कठोर बना देती है। इससे बेचैनी का स्तर और खासकर घुटने के जोड़ों में दर्द बढ़ जाता है।
दिल्ली में मणिपाल अस्पताल के एचओडी, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, आर्थोपेडिक सर्जन डॉ राजीव वर्मा के अनुसार, ‘‘सर्दियों के दौरान हम देखते हैं कि प्रत्येक वर्श जोड़ों के दर्द और तकलीफ के लिए उपचार की माँग में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या में वृद्धि हो रही है। हालाँकि, हमें युवाओं में भी इसका ट्रेंड बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है, जिनमें वे लोग भी शामिल हैं जो कोविड-19 से उबर चुके हैं तथा हड्डी और जोड़ों की समस्याओं के लिए परामर्श कर रहे हैं। सर्दियों में लोग व्यायाम करना छोड़़ देते हैं और सामान्य रूप से सुस्त हो जाते हैं। यह घुटनों को प्रभावित कर सकता है और दर्द के स्तर को भी बढ़ा सकता है। नियमित 30 मिनट की कसरत जोड़ों को चिकनाई देने और षरीर में ब्लड सर्कुलश्षन को बढ़ाने में मदद कर सकती है। सक्रिय रहना जोड़ों को सहारा देने वाली मांसपेशियों को मजबूत करने की कुंजी है, जिससे जोड़ों के बेहतर कार्य करने में मदद मिलती है।’’
यहाँ कुछ सलाह दी गई है जो आपको सर्दियों में घुटने से लड़नें में मदद करेंगेः
धूप का सेवन
जोड़ों के ठीक हाने में विटामिन डी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कई अध्ययनों से यह जानकारी प्राप्त होती है कि विटामिन डी का निम्न स्तर जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द का बढ़ा सकता है। इसलिए, जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए जितना हो सके धूप का सेवन करें और अपनी हड्डियों और जोड़ों को मजबूत करने के लिए अपने आहार को पौश्टिक और विटामिन युक्त खा़द्य पदार्थ, जैसे कि संतरा, पालक, ब्रोकली, डेयरी उत्पाद और सूखे मेवों का नियमित रूप से सेवन करें।
नियमित रूप से व्यायाम करें
विषेश रूप से गठिया के रोगियों के लिए एक सक्रिय जीवन शैली जोड़ों के दर्द को दूर रख सकती हैं। आप व्यायाम को बाहरी शीत लहर के कारण बाधित न होने दें। अपने वजन को नियंत्रण में रखने के लिए काम पर या घर पर या प्रतिक्षालय में समय-समय पर छोटे-छोटे वॉक ब्रेक (घूमने) लेने के लिए खुद को प्रोत्साहित करें।
लेयर अप
घुटने को जोड़ अन्य जोड़ों के मुकाबले अधिक तनाव का सामना करता है, इसलिए शरीर के वजन को और अधिक बढ़ाने वाले भारी स्वेटर्स और कार्डिगन पहनने की बजाय आप हल्के लेकिन गर्म कपड़ों को इस्तेमाल करने का चुनाव कर सकते है।
अपने चिकित्सक से परामर्श करें
यदि भौतिक चिकित्सा और दवाओं से केवल थोड़े समय के लिए दर्द से राहत मिल रही है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने जोड़ों की जाँच किसी हड्डी रोग विषेशज्ञ से करवाएं। गठिया की पुरानी या उन्नत अवस्था में जब सभी वैकल्पिक उपचार विफल हो जाते हैं तो दर्द से राहत और घुटने के क्रियाकलाप को पुरानी अवस्था में लाने के लिए आमतौर पर पूरे घुटने के रिप्लेसमेंट की अनशंसा की जाती है।
डॉ वर्मा ने बताया कि, ‘‘टेक्रोलॉजी के आगमन के साथ सिंगल रेडियस नी टेक्रोलॉजी जैसे नवाचारों की बदौलत घुटनों की सर्जरी का सम्पूर्ण स्वरूप बदल गया है। यह टेक्रोलॉजी एक पद्धति है जिसमें प्राकृतिक घुटने की प्रतिकृति की जाती है जो आकार में गोल होता है और सिंगल रेडियस के चारों ओर घूमता है। इस नई तरह की सर्जरी ने हमारे लिए एमिशिएंट एवं असरदार समाधानों का रास्ता खोला है जो कई सालों तक चल सकते हैं। इसमें सॉफ्ट टिशूज का अधिक संरक्षण होता है जिसके फलस्वरूप घुटने की प्राकृतिक गति को सहारा मिलता है और गतिशीलता जल्द अपनी पूर्वावस्था में आ जाती है तथा फिजियोथेरेपी सेशन की कम ज़रूरत होती है। टीकेआर के बाद, व्यक्ति दो महीने के भीतर ही अपने सामान्य क्रियाकलाप फिर से शुरू कर सकता है। गोलाकर घुटने से सीढ़ियों पर चढ़ते-उतरते समय, हलके-फुल्के खेल खेलते समय आदि में स्थिर और प्रभावी मूवमेंट में आसानी होती है।
जबकि सर्दियों के महीनों में गठिया विशेष रूप से तनावपूर्ण हो सकता है। परिस्थिति के कारण होने वाले कष्टदायी जोड़ों के दर्द और परेशानी से बचने के लिए देखभाल और सावधानी ज़रूरी है।