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मशीन लर्निंग समूह में भी तारों को चुनने में कर सकती है सहायता

नई दिल्ली: भारतीय खगोल वैज्ञानिकों ने मशीन लर्निंग पर आधारित एक नई पद्धति का विकास किया है जो समूह तारों अर्थत तारों का जमाव जो बहुत अधिक निश्चिंतता के साथ समान उत्पति के जरिये संबंधित हो, की पहचान कर सकती है। इस पद्धति का उपयोग सभी उम्रों, दूरियों और घनत्वों के क्लस्टरों पर किया जा […]

नई दिल्ली: भारतीय खगोल वैज्ञानिकों ने मशीन लर्निंग पर आधारित एक नई पद्धति का विकास किया है जो समूह तारों अर्थत तारों का जमाव जो बहुत अधिक निश्चिंतता के साथ समान उत्पति के जरिये संबंधित हो, की पहचान कर सकती है। इस पद्धति का उपयोग सभी उम्रों, दूरियों और घनत्वों के क्लस्टरों पर किया जा सकता है। इस पद्धति का उपयोग 18000 प्रकाश वर्ष दूर तक के छह विभिन्न क्लस्टरों के लिए सैकड़ों अतिरिक्त तारों की पहचान के लिए तथा अनोखे तारों का पता लगाने के लिए किया गया है।

तारों और किस प्रकार उनका उद्भव हुआ, का अध्ययन करना खगोल विज्ञान की आधारशिला है। लेकिन उन्हें समझना कठिन है क्योंकि उन्हें विभिन्न कालों में देखा जाता है। इसलिए, तारों का अध्ययन करने के लिए तारों का समूह (स्टार क्लस्टर) एक शानदार जगह है। स्टार क्लस्टर के सभी तारों की लगभग समान उम्र और कैमिस्ट्री होती है, इसलिए देखी गई किसी भी विभिन्नता को निश्चिंतता के साथ अलग अलग तारों की विशेषता के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। चूंकि क्लस्टर आकाश गंगा के हिस्से होते हैं, क्लस्टर और हमारे बीच कई तारे हैं और इसलिए किसी विशेष क्लस्टर के तारों की पहचान करना तथा उन्हें चुनना आसान नहीं है।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्तशासी संस्थान इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए) के खगोल वैज्ञानिकों की एक टीम ने यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ईएसए) की हाल ही में जारी गाईआ अर्ली डाटा रिलीज 3 (ईडीआर 3) का उपयोग किया जो ऐसे तारों को चुनने के लिए जो क्लस्टर मेंबर हैं, 1 मिली-आर्क–सेकेंड (चांद पर खड़े किसी व्यक्ति को देखने के समतुल्य) की सटीकता के साथ एक बिलियन से अधिक तारों की चमक, पैरालैक्स तथा समुचित गति के बारे में बहुत सटीक जानकारी देती है।

आईआईए टीम ने इस कार्य के लिए महत्वपूर्ण मापों की पहचान की और प्रोबैबिलिस्टक रैंडम फॉरेस्ट नामक एक मशीन लर्निंग टेक्निक का उपयोग करते हुए इन मानकों के बीच जटिल संबंध को समझा। यह एक क्लस्टर मेंबर या एक गैर मेंबर के रूप में प्रत्येक तारे को वर्गीकृत करने के लिए पैरालैक्स, समुचित गति, तापमान, चमक तथा अन्य मानकों के संयोजन का उपयोग करता है। आईआईए टीम ने गौसियन मिक्स्चर मॉडल, जो को-मूविंग स्टार्स के क्लंप्स की पहचान कर सकता है, नामक एक मॉडल के सबसे अधिक संभावित मेंबरों का उपयोग करते हुए अपने एल्गोरिद्म को प्रशिक्षित किया। इसके बाद, प्रोबैबिलिस्टक रैंडम फॉरेस्ट एल्गोरिद्म सीखता है कि किस प्रकार एक विशिष्ट क्लस्टर मेंटर तारे की पहचान की जाए और प्रभावी तरीके से उन तारों को अलग किया जाए जो केवल समान उचित गति या खुद क्लस्टर की ही तरह समान वेगों को साझा करते हैं। उन्होंने सूचीपत्र में सभी उपलब्ध मानकों का एक ट्रेड स्टडी करने के बाद मेंबरों की पहचान के लिए 10 मानकों का उपयोग किया।

आईआईए टीम ने भारतीय अंतरिक्ष वेधशाला ‘एस्ट्रोसैट‘ पर अल्ट्रा-वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (यूवीआईटी) से अल्ट्रावायलेट इमेज का उपयोग करते हुए छह क्लस्टर में सबसे गर्म तारे की पहचान करने के लिए मेंबरों की सूचीपत्र का उपयोग किया। यह शोधपत्र वैज्ञानिक जर्नल ‘मंथली नोटिसेज ऑफ द रायल एस्ट्रोनोमिकल सोसाइटी‘ में प्रकाशित किया गया है। उनके कार्य का परिणाम पहले ही ओपेन क्लस्टर किंग 2 में सबड्वार्फ-बी प्रकार के तारों (कांपैक्ट तारे जो बहुत दुर्लभ होते हैं) की खोज के रूप में सामने आ चुका है। इसी पर एक शोध पत्र को ‘जर्नल ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स एंड एस्ट्रोनोमी‘ में प्रकाशन के लिए स्वीकृत किया गया है। इस टूल ने इसकी पुष्टि में सहायता की कि ये तारे वास्तव में क्लस्टर के हिस्से हैं, हालांकि अनपेक्षित गुणधर्म प्रदर्शित करते हैं।

इस नई विकसित पद्धति अब अधिक विश्वसनीयता के साथ क्लस्टर तारों की पहचान कर सकती है और उस विशिष्ट तारे को ठीक तरीके से निर्धारित कर सकती है जो अपने सहोदरों (सिबलिंग्स) से अलग बर्ताव करती है। यह टीम भविष्य में और अधिक क्लस्टरों पर एल्गोरिद्म को लागू करेगी।

डीएसटी के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि, 'किसी स्टार-क्लस्टर से संबंधित तारों की मैनुअल पहचान करना, खासकर यह देखते हुए कि कितने अधिक डेटा का विश्लेषण किया जाना है, एक दुष्कर कार्य है। नई आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस आधारित एल्गोरिद्म से इस प्रक्रिया की ऑटोमेटिंग होने तथा इसमें तेजी आने की बहुत संभावना है और इसका जीव विज्ञान तथा मैटेरियल्स साईंस में पैटर्न के विश्लेषण के अन्य क्षेत्रों में भी उपयोग हो सकता है।'

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