हमारे ज्योतिष चक्र में कुल 12 राशियाँ हैं। प्रत्येक राशि में सूर्य एक महिने तक भ्रमण करते हैं, सूर्य जब एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं उस सन्धिकाल को हीं संक्रान्ति (Sankranti) कहते हैं।
उसी प्रकार सूर्य जब धनु राशि का भ्रमण पूर्ण कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, उसे हीं मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) कहते हैं।
इसी काल को धर्मशास्त्रों में देवताओं का दिन और असुरों की रात्रि कही गई है।
इस काल की महत्ता इस बात से ज्ञात होता है कि भीष्म पितामह शर-सैय्या पर तब तक कष्ट सहन करते रहे जब तक कि सूर्य मकर राशि में प्रवेश नहीं कर गए।
ऐसे भी देव प्रतिष्ठा, एवं अन्य सभी शुभ कार्य सूर्य के उत्तरायण होने पर हीं किया जाता है।
वैसे तो अन्य संक्रांति (Sankranti) हो का भी महत्व अलग-अलग है किन्तु मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) का महत्व सबसे ज्यादा बताया गया है।
मान्यता है इस दिन तीर्थ स्थलों पर स्नान व दान अनंत गुना फलदाई है।
इस बार सूर्य मकर राशि का संक्रमण 14 जनवरी 2022, शुक्रवार को रात्रि 08 बजकर 49 मिनट पर कर रहे हैं। और गर्ग संहिता में महर्षि गर्ग के वचन का अवलोकन करें, तो कर्क संक्रान्ति (Kark Sankranti) में 16 घटी पहले और मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) में 16 घटी बाद पुण्यकाल होता है।
मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) यदि सूर्यास्त के बाद हो तो अगले दिन हीं पुण्यकाल होता है।
अन्य संक्रान्तियों में 16 घटी पहले और 16 घटी बाद दोनों में पुण्यकाल होता है।
मुहूर्त गणपति ग्रन्थ में भी यही मत प्राप्य है, अतः अगले दिन अर्थात् 15 जनवरी को हीं मकर संक्रान्ति (Makar Sankranti) शास्त्रोचित और तर्कसंगत है।
इस बार संक्रान्ति (Sankranti)का वाहन- व्याघ्र, वस्त्र-पीला, शस्त्र- गदा, भक्ष्य-खीर, लेप-कुंकुम, जाति- भूत, पुष्प- चमेली, अवस्था- कुमार, भोजनपात्र- चाँदी, अवस्था- बैठे हुए।
फल:- सभी वस्तुएं मँहगी होंगी। राजनैतिक कलह और राजनीति में अस्थिरता रहेगा।
माह का अन्त देश के लिए सुखद् रहने की संभावना है l