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Mother’s Day Special: माँ तू नहीं आती, लेकिन तेरी याद आती है

‘मदर्स डे’ परिवार की माँ के साथ-साथ मातृत्व, मातृत्व बंधन और समाज में माताओं के प्रभाव का सम्मान करने वाला उत्सव है। यह दुनिया के कई हिस्सों में विभिन्न दिनों में मनाया जाता है, आमतौर पर मार्च या मई के महीनों में। मां अपना पूरा जीवन बच्चों के प्यार, त्याग और देखभाल में बिता देती […]

‘मदर्स डे’ परिवार की माँ के साथ-साथ मातृत्व, मातृत्व बंधन और समाज में माताओं के प्रभाव का सम्मान करने वाला उत्सव है। यह दुनिया के कई हिस्सों में विभिन्न दिनों में मनाया जाता है, आमतौर पर मार्च या मई के महीनों में। मां अपना पूरा जीवन बच्चों के प्यार, त्याग और देखभाल में बिता देती है। एक मां ही है, जो बिना किसी शर्त और उम्मीद के अपने बच्चों के लिए सब कुछ करती है। वह हमेशा अपने बच्चों के लिए बिना रूके और थके काम करती रहती है। एक मां ही है जो अपने बच्चों के दुख-सुख का ध्यान रखती है।

लेकिन, एक मां होने से पहले वह एक महिला है, जो एक उम्र का पड़ाव पार करने के बाद शारीरिक और मानसिक बदलावों से गुजरती है। उनके बच्चे होने के नाते, आपकी जिम्मेदारी है कि उनके स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखें। मदर्स डे के मौके पर अपनी मां को उपहार दें। अगर, ये मुमकिन नहीं है तो उन्हें घर के काम से कम से कम आज के दिन आराम दें ताकि उन्हें खुशी मिल सके। अपनी मां के लिए कुछ खास कर आप ‘मदर्स डे’ को और भी स्पेशल बना सकते हैं।

माँ अब तू नही आती,
लेकिन तेरी याद बहुत आती है।

तेरी छोटी छोटी बातें,
वो मीठी मीठी यादें,
माँ मुझको बड़ा रुलाती है ,
माँ अब तू नही आती ,
लेकिन तेरी याद बहुत आती है।

माँ देख अब मैं बड़ा हो गया हूं,
अपने पैरो पर भी खड़ा हो गया हूं,
ये पैसा भी बेकार कमाया है,
क्योंकि तेरी सेवा में नही लगाया है,
इस पैसे से भी चेहरे पर मुस्कान नहीं आती है,
माँ अब तू नही आती ,
लेकिन तेरी याद बहुत आती है।

जीवन मैं जब कभी खुशियां आती है,
उस समय तेरी याद भी बहुत सताती है,
सब पूछते है तेरे आखों मैं क्यों नमी है,
उन्हे क्या बताऊं मेरे जीवन मैं क्या कमी है,
वो जो दौड़ कर आती थी मेरी एक आह पर,
अब वो रोने से भी नही आती है,
माँ अब तू नही आती ,
लेकिन तेरी याद बहुत आती है।

सोया नही हूं मैं बड़ी मुद्दत से सुकून से,
जैसे जुदा हो गया है मेरा खून तेरे खून से,
मांगता हूं तुझे वापस ऊपर वाले से बड़े जुनून से,
मगर दुआए भी वापस खाली हाथ ही आती है,
माँ अब तू नही आती ,
लेकिन तेरी याद बहुत आती है।

कब हुई थी शुरूआत
20वीं शताब्दी की शुरुआत में, अन्ना जार्विस की पहल पर, संयुक्त राज्य अमेरिका में छुट्टी शुरू हुई, जिसने ग्राफ्टन में एंड्रयूज मेथोडिस्ट एपिस्कोपल चर्च में पूजा और उत्सव की पहली मातृ दिवस का आयोजन किया, जो आज अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

 

 

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