भैया बहुत गहरी साजिश है। सच बताएं तो इसमें पड़ोस वाले देश का पूरा हाथ मालूम पड़ता है। अच्छे से खोजा जाये तो पक्का कउनो टूलकिट मिल जायेगी। मल्लब हमाये अच्छे खासे कानपुर को बदनाम करने का पूरा प्लान था। मल्लब ग्रीनपार्क में बईठा बेचारा भोला भाला आदमी जरा सा पगुरा क्या दिया गाँव भर में गुहार मार दिए।
अब क्या आदमी मुँह भी न घुमाए? अरे हम कनपुरिये हैं जो बारात का स्वागत भी पान पराग से करते हैं। अच्छा एक फोटो क्या मिल गई सब न्यूज़ चैनल वाले हल्ला मार दिए कि गुटखा खा रहा है। उनको कईसे मालूम कि मुँह के अंदर गुटखा ही भरा है। माना कि स्टम्प के अंदर कैमरा लगता है ये मुँह के अंदर कब से लगने लगा। क्या भरोसा काहो मीडिया वाले लगा ही दिए हों।
अभी हमाये अमित जी औ दीपिका मैडम के पतिदेव मिल के जनता को समझा रहे हैं कि इलायची खाओ। यही नहीं अजय भैया औ सल्लू मियां तो ऊँगली दिखा के धमका रहे हैं कि विमल खाओ। मल्लब एक अकेला नहीं समझा पा रहा तो दुई दुई मिल के समझा रहे हैं। अब इनकी भी न सुनें? लेकिन लोगों को तो बहाना चाहिए हमाये कानपुर को बदनाम करने का। इनको मालूमै नहीं कि पान मसाला, बोतल (पानी वाली) ये सब ग्रीनपार्क में बिलकुल अलाउड नहीं है।
औ हम कहते हैं कि अगर उस आदमी ने गुटखा खा भी लिया तो कौन सा गुनाह कर दिया। कोरोना से पहिले लोग पीने वालों का भी हेय दृष्टि से देखा करते थे। वो तो कोरोना काल में लोगों को पता चला कि हमाई इकोनॉमी यानी अर्थव्यवस्था को तो यही लोग चला रहे हैं। कुछ ज्यादा उच्चकोटि के लोग बगल में बैठी बेचारी महिला पर भी लगे हाथ कमेंट मार दिए। इससे उनके असली चरित्तर यानी कैरेक्टर का पता चलता है।
वैसे सही बताएं तो ये सज्जन चाहे गुटखा खाये हों या मीठी सुपारी लेकिन काम बहुत नेक किये हैं। टेस्ट मैच तो वइसे भी बोरिंग होता है कम से कम इसी बहाने लोग हँस तो लिए।
तो भैया फालतू की बहस में पड़ने औ कानपुर महानगर का नाम बदनाम करने से अच्छा है कि चुपचाप मैच का आनन्द ल्यो। बाकी हमाई आज की झक्क हुई समाप्त।
तो भैया आज की झक्क पसन्द आयी हो तो फौरन शेयर कर दीजिए। चलते हैं…
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