नई दिल्लीः संयुक्त राज्य अमेरिका में 11 सितंबर, 2001 को हुए सबसे भीषण हमले को आज 20 साल पूरे हो गए हैं। आज ही के दिन हुए आतंकी हमलों से पूरी दुनिया दहल उठी थी। इन हमलों में लगभग 3,000 अमेरिकी मारे गए थे और हजारों की संख्या में लोग घायल हुए थे। इस दिन को अमेरिकी इतिहास में काले दिन के रूप में दर्ज किया गया है। इस अवसर पर राष्ट्रपति जो बिडेन ने अमेरिका वासियों से एकता का आग्रह किया और पीड़ितों को याद करने को कहा।
ट्विन टावर हमलों की 20वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर जारी एक वीडियो में जो बिडेन ने कहा, ‘‘हम उन सभी का सम्मान करते हैं जिन्होंने इस दुर्घटना में अपनी जान दे दी। चाहे कितना भी समय बीत गया हो, ये घटना भूलने लायक नहीं है। इस घटना के बारे में सोचने पर ऐसा महसूस होता है जैसे कि आपको कुछ सेकंड पहले ही खबर मिली हो।” उन्होंने कहा, ‘‘हमने सीखा कि एकता एक ऐसी चीज है जिसे कभी नहीं तोड़ना चाहिए।’’
11 सितंबर 2001 के उस भयानक मंजर को कोई भी भुला सकता। जब रोज़ की तरह दुनिया की सबसे ऊंची इमारतों में शुमार वर्ल्ड ट्रेंड सेंटर में भी करीब 18 हजार कर्मचारी रोजमर्रा की तरह अपने काम में लगे थे, लेकिन सुबह 8 बजकर 46 मिनट पर कुछ ऐसा हुआ कि आज तक लोग उस सदमें से नहीं उबरे हैं।
क्या हुआ था 9/11 को
बता दें कि उस दिन 19 अलकायदा आतंकियों ने 4 अमेरीकी पैसेंजर एयरक्राफ्ट हाईजैक किए और जानबूझकर उनमें से दो विमानों को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, न्यूयॉर्क शहर के ट्विन टावर्स के साथ टकरा दिया। इस घटना में विमानों पर सवार सभी लोग तथा बिल्डिंग के अंदर काम करने वाले हजारों लोग भी मारे गए और हजारों की संख्या में लोग घायल हुए। दोनों इमारतें दो घंटे के भीतर ही पूरी तरह से ढह गईं। इन इमारतों के साथ आसपास की बिल्डिंग भी नष्ट हो गईं और दूसरी क्षतिग्रस्त हुईं। इसके बाद उन्होंने तीसरे विमान को वाशिंगटन डीसी के बाहर, आर्लिंगटन, वर्जीनिया में पेंटागन में टकरा दिया। वाशिंगटन डीसी की ओर टारगेट किए गए चौथे विमान के कुछ यात्रियों एवं उड़ान चालक दल द्वारा विमान का नियंत्रण फिर से लेने के प्रयास के बाद विमान ग्रामीण पेंसिल्वेनिया में शैंक्सविले के पास एक खेत में क्रैश होकर गिरा। हालांकि किसी भी विमान में सवार कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं बच सका।
इस खौफनाक आतंकी हमले में लगभग 3000 लोगों की जान चली गई थीं, जिनमें 400 पुलिस अफसर और फायरफाइटर्स भी शामिल थे। मरने वालों में 57 देशों के लोग शामिल थे। पूरी इमारत करीब 2 घंटे में मलबे में तब्दील हो गई थी। मारे गए लोगों में केवल 291 शव ही ऐसे थे जिनकी ठीक से पहचान की जा सके। गौरतलब है कि इस हमले के बाद भारतीय व्यापारियों ने हजारों टन मलबे को करीब 23 करोड़ रुपए में खरीद लिया। इसमें से निकले लोहा और स्टील को रिसाइकल कर नई इमारतों में इस्तेमाल किया गया।
अमेरिका ने लिया बदला
इस दिल दहलाने वाले खौफनाक हमले के पीछे अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का हाथ अमेरिका ने बदले की कार्रवाई करते हुए 2 मई 2011 को पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा को ढेर कर दिया था। हालांकि बदले की कार्रवाई में अमेरिका को पूरे 10 साल लग गए। 13 सालों के बाद वहीं नई इमारत काम करने के लिए खोल दी गई।
8 साल में बनी नई इमारत
गौरतलब है कि पेंटागन को हुए नुकसान के एक वर्ष के अंदर साफ कर दिया गया और उसकी मरम्मत कर दी गई। बिल्डिंग के बगल में पेंटागन स्मारक बनाया गया। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की धवस्ट इमारतों की जगह ग्राउंड जीरो पर बनी नई इमारत 104 मंजिल की है। ये इमारत न्यूयॉर्क या मैनहट्टन ही नहीं बल्कि अमेरिका की सबसे ऊंची इमारतों में शुमार है। इसका नाम वन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर दिया गया है। इस गगनचुंबी इमारत को फिर से बनाने में 8 साल लगे।
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