नई दिल्लीः तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद अपनी सरकार की घोषणा कर दी है। लेकिन उनके 33 सदस्यीय कैबिनेट दल में एक भी महिला शामिल नहीं है। अफगान सरकार में महिलाओं की अनुपस्थिति के लिए तालिबान को दुनिया भर में कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि सरकार गठन को लेकर असमंजस को देखते हुए तालिबान ने सरकार में महिलाओं को शामिल करने का वादा किया है। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि आने वाले दिनों में महिलाओं को भी सरकार में शामिल किया जाएगा।
तालिबान के प्रवक्ता मुजाहिद ने बुधवार को बीएफएमटीवी न्यूज चैनल से कहा, ‘‘यह सरकार अंतरिम है। महिलाओं के लिए शरिया कानूनों का सम्मान करने के लिए पद होंगे। यह एक शुरुआत है, लेकिन हम महिलाओं के लिए सीटों की तलाश करेंगे। वे सरकार का हिस्सा हो सकते हैं। यह दूसरे चरण में होगा। यहां यह जानना महत्वपूर्ण है कि काबुल के निवासियों ने देश के शासन में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने की मांग को लेकर काबुल के पश्चिमी भाग दशते बारची इलाके में विरोध प्रदर्शन किया।’’
मंगलवार को तालिबान ने अफगानिस्तान में एक अंतरिम सरकार की घोषणा की, जिसमें मंत्रियों के रूप में कोई महिला शामिल नहीं थी। इसके बाद से दुनिया भर में यह आशंका जताई जा रही है कि तालिबान के शासन में अफगान महिलाओं की स्थिति और खराब होने वाली है। वहीं शरिया कानून के तहत सरकार चलाने को लेकर कई आशंकाएं हैं।
पश्तून समुदाय से 90 फीसदी मंत्री
भले ही अफगानिस्तान में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया हो, लेकिन कार्यवाहक प्रधान मंत्री मोहम्मद हसन अखुंद के सामने सबसे बड़ी चुनौती सभी जातीय समूहों को संबोधित करना होगा। 33 नवनियुक्त मंत्रियों में से 90 प्रतिशत मंत्री केवल पश्तून समुदाय के हैं, जबकि हजारा समुदाय का एक भी मंत्री नहीं है। ताजिकों और उजबेकों का भी पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है। सबसे बड़ी 42 प्रतिशत आबादी वाले पश्तून समुदाय ने शुरू से ही अफगान राजनीति पर अपना दबदबा कायम रखा है। सुन्नी मुसलमानों के इस समुदाय के 30 लोगों को मंत्री बनाया गया है, जिनमें प्रधानमंत्री अखुंद, उप प्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादर शामिल हैं। इस समुदाय के लोग पश्तो भाषा बोलते हैं। तालिबान के ज्यादातर लड़ाके इसी समुदाय के हैं। इसमें हक्कानी नेटवर्क के मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम भी शामिल है।
हजारा जनसंख्या 10 प्रतिशत
अल्पसंख्यक हजारा समूह देश की आबादी का 10 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन इसके किसी भी सदस्य को मंत्रिपरिषद में जगह नहीं मिली है। ये हैं शिया मुसलमान। यह समूह लंबे समय से हिंसा, दमन और भेदभाव का शिकार रहा है।
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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