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भारत और तालिबान रूस में मास्को फॉर्मेट में होंगे आमने-सामने

नई दिल्लीः भारत और तालिबान के अधिकारी 20 अक्टूबर को रूस द्वारा आयोजित मास्को फॉर्मेट बैठक में आमने-सामने होंगे। जबकि भारत का तालिबान के साथ पहला औपचारिक संपर्क 31 अगस्त को दोहा में हुआ था। मॉस्को फॉर्मेट में नई दिल्ली और तालिबान सरकार के बीच पहला औपचारिक संपर्क होने की संभावना है। यह वार्ता, जिसमें […]

नई दिल्लीः भारत और तालिबान के अधिकारी 20 अक्टूबर को रूस द्वारा आयोजित मास्को फॉर्मेट बैठक में आमने-सामने होंगे। जबकि भारत का तालिबान के साथ पहला औपचारिक संपर्क 31 अगस्त को दोहा में हुआ था। मॉस्को फॉर्मेट में नई दिल्ली और तालिबान सरकार के बीच पहला औपचारिक संपर्क होने की संभावना है।

यह वार्ता, जिसमें चीन और पाकिस्तान सहित 10 देशों के अधिकारियों की भागीदारी दिखाई देगी, अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से तालिबान की सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय बैठकों में से एक है।

तालिबान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व उप प्रधान मंत्री अब्दुल सलाम हनफी करेंगे, जबकि भारत का नेतृत्व संयुक्त सचिव जेपी सिंह करेंगे, जो विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान-अफगानिस्तान-ईरान डेस्क के प्रमुख हैं।

वार्ता का महत्व है क्योंकि मास्को बैठक का एक उद्देश्य ‘मानवीय संकट को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों’ को मजबूत करना है।

रूसी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि एक ‘समावेशी सरकार’ का गठन एजेंडे में होगा, और वार्ता के लिए पार्टियों को बाद में एक संयुक्त बयान जारी करने की उम्मीद थी। मॉस्को ने तालिबान से संपर्क किया है और हाल के वर्षों में कई बार मास्को में अपने प्रतिनिधियों की मेजबानी की है।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने पहले लॉजिस्टिक मुद्दों का हवाला देते हुए वार्ता से हाथ खींच लिया था, लेकिन कहा कि वह रूसी नेतृत्व वाले मंच को ‘रचनात्मक’ मानता है।

विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, ‘‘हम आगे चलकर उस मंच में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन हम इस सप्ताह भाग लेने की स्थिति में नहीं हैं।’’

रूस 2017 से अफगान मुद्दों के समाधान के लिए ‘मॉस्को फॉर्मेट’ वार्ता कर रहा है। 2017 से मॉस्को में कई दौर की बातचीत हो चुकी है।

(एजेंसी इनपुट के साथ) 

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