नई दिल्लीः अफगानिस्तान (Afghanistan) में जारी युद्ध पर चर्चा के लिए जी-7 (G7) नेता आज वर्चुअल बैठक करेंगे। इस बैठक में तालिबान (Taliban) को आधिकारिक रूप से मंजूरी देने या प्रतिबंधित करने के मुद्दे पर जी-7 समूह के नेताओं के एकजुट होने की उम्मीद है। इस संबंध में दो राजनयिक सूत्रों ने जानकारी दी है। काबुल (Kabul) पर आतंकी समूह के कब्जे के बाद अमेरिका (America) की देरी को लेकर सहयोगी भी सतर्क हैं।
वाशिंगटन में विदेशी राजनयिकों ने कहा है कि सहयोग बैठक का मुख्य उद्देश्य होगा। यूरोपीय राजनयिक ने कहा कि जी-7 नेता इस बात पर सहमत होंगे कि तालिबान पर निर्णय के दौरान आपसी सहयोग का ध्यान रखा जाएगा और सहयोगी मिलकर काम करेंगे। अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और जापान के नेता, आतंकवादी समूह महिलाओं के अधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के सम्मान के लिए तालिबान पर जोर देने के लिए संगठित आधिकारिक मान्यता या नए प्रतिबंधों का उपयोग कर सकते हैं।
ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन जी7 बैठक के दौरान एक संगठित दृष्टिकोण पर जोर देंगे, जिसमें नाटो महासचिव जेन स्टोलटेनबर्ग और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भी शामिल होंगे। इस संबंध में ब्रिटिश राजनयिक करेन पियरे ने जानकारी दी है। हम एक स्पष्ट योजना विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं ताकि हम अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर एक संगठित और सही निर्णय ले सकें। हम अफगानिस्तान में तालिबान के राज को उसकी बातों से नहीं बल्कि उसके कामों से जज करेंगे। ब्रिटिश राजनयिक ने कहा कि हम एक ठोस प्लान तैयार करना चाहते हैं ताकि हम सभी लोग सर्वसम्मति से फैसला ले सकें कि आखिर तालिबान से कैसे डील करना है। यदि जी-7 देशों के बीच तालिबान को मान्यता देने पर सहमति बनती है तो यह बड़ा फैसला होगा। इससे तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मदद हासिल करने, कारोबार करने और कूटनीति में दखल रखने में मदद मिलेगी। हालांकि इसकी संभावना कम ही है। माना जा रहा है कि जी-7 देशों की ओर से तालिबान पर कुछ पाबंदियां लगाने पर सहमति बन सकती है।
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)
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