बिहार

सिंधिया घाट: यहां सांपों से खेलत हैं लोग

सिंधिया घाट गांव में नागपंचमी के दिन हजारों श्रद्धालुओं ने नागदेव की पूजा अर्चना करते हैं। इसके बाद गांव के पास की नदी में लोगों ने कई सांपों को पकड़ते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि यहां रहने वाले सभी लोग सांप पकडऩा जानते हैं।

समस्तीपुर: बिहार (Bihar) के समस्तीपुर (Samastipur) इलाके में सिंधिया घाट (Scindia Ghat) नाम से एक ऐसा भी गांव हैं जहां सांप के काटने से किसी भी इंसान की मौत नहीं होती। यहां पर नागपंचमी (Nag Panchmi) के खास मौके पर लगने वाले सांपों के मेले में लोग उनके के साथ खेलते हैं। कई बार सांप उन्हें काट भी लेते हैं लेकिन उन्हें कुछ नहीं होता।

यहां के लोगों की मानें तो माता भगवती के आशीर्वाद से सांप के काटने से उन पर कोई असर नहीं होता।सिंधिया घाट गांव समस्तीपुर से करीब 23 किलोमीटर दूर है, जहां के लोग कोबरा जैसे जहरीले सांप को पकड़ कर घरों में रखते हैं। दुनिया के सबसे विषैले और खतरनाक सांप के तौर पर माने जाने वाले कोबरा का नाम सुन कर जहां सामान्य लोग कांप जाते हैं और पसीना छूट जाता है, उन्हीं सांपों के साथ इस गांव के लोग खेलते हैं और उसके साथ करतब दिखाते हैं।

बच्चे गले में लपेट लेते हैं सांप
सिंधिया घाट गांव में नागपंचमी के दिन हजारों श्रद्धालुओं ने नागदेव की पूजा अर्चना करते हैं। इसके बाद गांव के पास की नदी में लोगों ने कई सांपों को पकड़ते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि यहां रहने वाले सभी लोग सांप पकडऩा जानते हैं। ग्रामीणों के मुताबिक इस गांव में सांपों का ये मेला पिछले 300 वर्षों से लग रहा है और हर साल इसी तरह लोग उनके साथ करतब दिखाते हैं।

प्रत्येक घर में होती है नाग देवता की पूजा
इस गांव के सभी घरों में नाग देवता की पूजा की जाती है। पूजा के बाद घर के सभी सदस्य परंपरा के अनुरूप दही के साथ नीम का पत्ता ग्रहण करते हैं। इस अवसर पर विषहर देवता को दूध एवं धान की लावा तथा झाप चढ़ाने की भी लोगों में होड़ मची रहती है। सांप पकडऩे के बाद लोग उसकी पूजा कर अपनी मनोकामना पूरी होने की मन्नत मांगते हैं।