कोरबाः छत्तीसगढ़ का कोरबा जिला नागलोक बन गया है, इसमें कोई दोराय नहीं। जिस तरह जिले में कुछ वर्षों से अनेक दुर्लभ प्रजातियों के सांप मिल रहें, कोरबा जिला सांपो को लेकर सुर्खियों में रहा हैं, जो जिलेवासियों के लिए अच्छी बात है, साथ ही थोड़ा डर का विषय भी है। आज पूरे भारत में नाग पंचमी के रुप में नागों की पूजा की जाती है। आज के दिन सांपो की विशेष भूमिका रहती हैं। सभी नागों को पूजा के साथ दूध चढ़ाया जाता है, ये बात अलग हैं की सांप दूध नहीं पीते हैं। कोरबा जिले में भी ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिला, जहां स्नेक रेस्क्यू टीम कोरबा ने रेस्क्यू किए हुए 65 से अधिक सांपो को वन मण्डल कोरबा के सहयोग से पूजा पाठ कर पूरे विधि-विधान के साथ ही आम जनों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जंगल में जाकर छोड़ा गया।
बता दें कि जंगल में छोड़े गए सांपों में अजगर, धमना, घोड़ा करैत, बेलिया करैत, दंड करैत, ढोडिया, नाग, डारडोमी, कैट स्नेक, अहिराज के साठ गोह सांप को उनके अनुकूल परिवेश में छोड़ा गया। इसके साथ ही सांपों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी भी दी गई। सांप के काटने पर क्या करना हैं इन बातों को बताया गया, जिसमें वन मण्डल कोरबा अधिकारी भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर कोरबा एसडीओ ईश्वर कुजूर, कोरबा एसडीओ आशीष खैरवार, कोरबा रेंजर सियाराम कर्माकर, बालको रेंजर संजय लकरा के साथ बड़ी संख्या में सिपाही मौजूद रहे। साथ ही इस अदभुत दृश्य को देखने के लिए कोरबा से रिशु अग्रवाल, साकेत बुधिया, राकेश पंकज और आम जन मौजूद रहे। स्नेक रेस्क्यू टीम के सभी सदस्य कुलदीप राठौर, सुनिल निर्मालकर, सूरज, बबलू, पवन, अनुज, देवा, राकेश, सौरव, अरुण यादव भी इस अवसर पर मौजूद रहे।
जितेंद्र सारथी ने जिले वासियों को नाग पंचमी की बधाई देते हुए बताया हमारी टीम शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में लगातार जीवों के साथ लोगों की जान बचाने का काम कर रही है। उन्होंने बताया कि हमारी टीम दूर-दराज के क्षेत्रों में जाकर लोगों की सांपों से जान बचाने में लगे हैं। साथ ही सांपों को भी हमारी टीम द्वारा बचाया जा रहा है।
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