छत्तीसगढ़

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों के जीवन में आ रहा है तेजी से बदलाव: भूपेश बघेल

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में राज्य सरकार विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति अपनाकर इन क्षेत्रों में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के साथ-साथ विभिन्न जन कल्याणकारी कार्यक्रमों का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन किया जा रहा है। इससे नक्सलियों […]

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में राज्य सरकार विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति अपनाकर इन क्षेत्रों में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के साथ-साथ विभिन्न जन कल्याणकारी कार्यक्रमों का प्रभावी रूप से क्रियान्वयन किया जा रहा है। इससे नक्सलियों से लोगों का मोह भंग हो रहा है। नक्सल गतिविधियां अब सिमट सी गई है। इन क्षेत्रों में लोगों के जीवन में आ रहे बदलाव से यह बात स्पष्ट होती है। श्री बघेल आज एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम 12 आवर स्वस्थ्य भारत सम्पन्न भारत टेलीथॉन कार्यक्रम को बेमेतरा जिला मुख्यालय से वर्चुअल रूप से सम्बोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महानायक अमिताभ बच्चन के एक प्रश्न के जवाब में बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रोें में स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत करने के लिए चिकित्सकों और स्टाफ की नियुक्ति की गई है। दंतेवाड़ा जिले से मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना की शुरूआत की गई थी, यह योजना राज्य के सभी जिलों में संचालित है। उन्होंने कहा कि हमने इन क्षेत्रों में विकास, विश्वास और सुरक्षा की रणनीति पर काम करना शुरू किया। इससे आम जनता तक सरकार की पहुंच बनी। इस नीति पर अमल करते हुए हमने लोगों तक स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, सार्वभौम सार्वजनिक वितरण प्रणाली और सोलर उर्जा से बिजली पहुंचाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की नीतियों और कार्यक्रम से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लागों के जीवन में बड़ा बदलाव आ रहा है। बीजापुर में दिसंबर 2018 तक, जहां साल भर में एक दो टेªक्टर की ब्रिकी होती थी आज यह आकड़ा 400 के पार पहुंच गया है। वहीं मोटर सायकलों की ब्रिकी संख्या औसतन 15-16 से बढ़कर 5000 तक पहुंच गई है। इन क्षेत्रों में वनअधिकार कानून का प्रभावी क्रियान्वयन कर लोगों को वनाधिकार पट्टे दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में वर्षों से बंद सैकड़ों स्कूल फिर से शुरू किए गए है। धुर नक्सल क्षेत्र जगरगुण्डा के स्कूलों में भी अब अध्ययन-अध्यापन सुचारू रूप से होने लगा है। बीजापुर के सिलगेर गांव में शासन-प्रशासन द्वारा शिविर आयोजित कर तीन हजार लोगों के आधार कार्ड, जाब कार्ड बनाने बनाए गए। उन्होंने कहा कि नक्सल गतिविधियां अब बीजापुर और नारायणपुर में सिमट कर रह गई है।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने बताया कि महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती पर स्वास्थ्य सुविधाएं मजबूत करने के लिए बस्तर अंचल के सभी अस्पतालों में आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए गए। इन क्षेत्रों में लोग सप्ताह में एक बार हाट बाजार जरूर जाते हैं, इसलिए हमने लोगों की चिकित्सा का इंतजाम भी हाट बाजारों में किया। मलेरिया मुक्त अभियान चलाया इस अभियान के दौरान 14 लाख लोगों का मलेरिया के लिए रक्त परीक्षण किया गया। आज इन क्षेत्रों में मलेरिया के प्रकरण 40 प्रतिशत से घट कर 4-5 प्रतिशत रह गए है। इसके अलावा मोबाइल मेडिकल यूनिट और दाई दीदी क्लिनिक के जरिए भी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ये दोनों ही योजनाएं काफी लोकप्रिय है। दाई- दीदी क्लिनिक वर्तमान में रायपुर, बिलासपुर एवं भिलाई निगम क्षेत्र में संचालित है। जल्द ही इसका विस्तार पूरे प्रदेश में किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कुपोषण मुक्ति अभियान की सराहना हाल में ही नीति आयोग ने की है। राज्य में 37.8 प्रतिशत बच्चे कुपोषण से और 41.5 प्रतिशत महिलाएं एनिमिया से पीड़ित थी इस लिए राज्य में लोगों के लिए गरम भोजन देने के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान चलाया जा रहा है। पिछले एक साल में कुपोषण के मामले में उल्लेखनीय कमी आयी है। इसी प्रकार स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए लोगों को जागरूक करने की पहल के सार्थक परिणाम देखने को मिल रहा है।

Comment here