छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ में आज भी प्रासंगिक है युवा शक्ति और राष्ट्रभक्ति के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद का संदेश

रायपुर: विविध संस्कृतियों का संगम स्थल छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में न केवल छत्तीसगढ़ी संस्कृति (Chhattisgarhi culture) की अपितु सम्पूर्ण भारत की संस्कृतियों की झलक देखने को मिलती है। शांति और सौहार्द्र का टापू छत्तीसगढ़ की भूमि वह पावन धरा है जहां गौतम बुद्ध (Gautam Buddha), स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand) और महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) सहित अनेक […]

रायपुर: विविध संस्कृतियों का संगम स्थल छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में न केवल छत्तीसगढ़ी संस्कृति (Chhattisgarhi culture) की अपितु सम्पूर्ण भारत की संस्कृतियों की झलक देखने को मिलती है। शांति और सौहार्द्र का टापू छत्तीसगढ़ की भूमि वह पावन धरा है जहां गौतम बुद्ध (Gautam Buddha), स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekanand) और महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) सहित अनेक महान पुरूषों का आगमन हुआ। युवा शक्ति और राष्ट्रभक्ति के प्रेरणास्त्रोत स्वामी विवेकानंद की स्मृति छत्तीसगढ़ के युवाओं में आज भी रची-बसी हुई है। उनके आदर्शों को आत्मसात कर सामाजिक सौहार्द्र को अपनाते हुए युवा शक्ति आगे बढ़ कर अपना लक्ष्य हासिल कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिशा निर्देशन में छत्तीसगढ़ के युवाओं को आगे बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है।

स्वामी विवेकानंद जी को भला कौन नहीं जानता? उन्होंने युवाओं में आत्मविश्वास जगाने के लिए कहा था कि उठो जागो और तब तक प्रयत्न करो, जब तक लक्ष्य न प्राप्त हो जाए। उन्होंने कहा था, अपने आप को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। युवा ही समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं। उन्हें समाज में अपनी महती भूमिका के लिए संस्कृति और सम्यता से हमेशा जुडा रहना होगा। शिकागो में आयोजित धर्म संसद में भारतीय संस्कृति, धर्म और आध्यात्म के संदेश ने भारतीयों का गौरव बढ़ाया।

स्वामी विवेकानंद ने मानव कल्याण की दिशा में युवाओं को जागरूक करने का अदभुत कार्य किया। स्वामी विवेकानंद ने बंगाल से बाहर सबसे ज्यादा समय छत्तीसगढ़ में अपने माता-पिता के साथ व्यतीत किया है। वे किशोरावस्था में सन 1877 में रायपुर पहुंचे थे। उन्होंने अपने जीवन के 2 वर्ष यहां बिताया। उन्होंने अपने पिता से ही रायपुर में प्रारंभिक शिक्षा हासिल की। घर में बौद्धिक और आध्यत्मिक चर्चा का प्रभाव ही था कि व्यक्तित्व विकास में अनेक विद्वान स्वामी विवेकानंद का आध्यात्मिक जन्म स्थान रायपुर को मानते हैं। उनके व्यक्तित्व विकास में रायपुर पड़ाव का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यहां उनका परिचय हिन्दी और छत्तीसगढ़ी से हुआ। स्वामी विवेकानंद के बताए हुए मार्ग पर चलते हुए मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राज्य में युवाओं को मंच देने के साथ उनके प्रतिभा को सामने लाने युवा दिवस का आयोजन किया जा रहा है। ऐतिहासिक बूढ़ातालाब जो कि स्वामी विवेकानंद की स्मृति से जुड़ा हुआ है। इस बूढ़ातालाब को संवार कर राज्य शासन ने एक नये और आकर्षक कलेवर में पहचान दी है और इसका नाम स्वामी विवेकानंद सरोवर उद्यान के रूप में करके आम नागरिकों को स्वामी विवेकानंद से जोड़ने का काम किया है। यहां की खूबसूरती में सरोवर के बीच स्थित टापू पर ध्यान मुद्रा में स्थापित उनकी विशाल प्रतिमा दूर से ही देखने वालों को आकर्षित कर रही है।

राज्य सरकार ने स्वामी विवेकानंद की स्मृति को चिर स्थाई बनाने के लिए डे भवन को उनके स्मारक के रूप में विकसित करने की पहल भी की है। डे-भवन की पहचान स्मारक के रूप में होने से विवेकानंद से जुड़ी यादें भी जीवंतता का अहसास करायेगी। राजधानी रायपुर के एयरपोर्ट का नामकरण स्वामी विवेकानंद के नाम पर किया गया है। उनके नाम पर तकनीकी विश्व विद्यालय का नामकरण भी किया गया है। विवेकानंद आश्रम और नारायणपुर जिला में स्थापित रामकृष्ण मिशन आश्रम अबूझमाड़ियों और उनके बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए पिछले 35 साल से कार्य कर रहा है।

राज्य सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से युवाओं को आगे बढ़ाने का निरन्तर प्रयास कर रही है। सुपोषण अभियान से बच्चों को सेहतमंद बनाने से लेकर आत्मानंद विद्यालय सहित अन्य प्रयासों से रोजगार उपलब्ध करा कर एक बेहतर भविष्य निर्माण में भी छत्तीसगढ़ की सरकार स्वामी विवेकानंद जी के सपनों को सच करने की राह में आगे बढ़ रही है।