धर्म-कर्म

जन्माष्टमी पर व्रत का है विशेष महत्त्व, 100 जन्मों के पापों से मिलेगी मुक्ति

जो जन्माष्टमी का व्रत रखता है उसको करोडों एकादशी करने का पुण्य प्राप्त होता है और उसके रोग-शोक दूर हो जाते है l – ऐसा भगवान ब्रह्माजी बता रहे हैं। जन्माष्टमी को रात्रि जागरण करके, ध्यान-जप आदि का विशेष महत्त्व है। ब्रह्माजी सारस्वती को कहते हैं और भगवान श्री कृष्ण अपने भक्त उद्धव को बताते हैं […]

जो जन्माष्टमी का व्रत रखता है उसको करोडों एकादशी करने का पुण्य प्राप्त होता है और उसके रोग-शोक दूर हो जाते है l – ऐसा भगवान ब्रह्माजी बता रहे हैं। जन्माष्टमी को रात्रि जागरण करके, ध्यान-जप आदि का विशेष महत्त्व है।

ब्रह्माजी सारस्वती को कहते हैं और भगवान श्री कृष्ण अपने भक्त उद्धव को बताते हैं कि "जो जन्माष्टमी का व्रत रखता है, उसे करोड़ों एकादशी करने का पुण्य प्राप्त होता है और उसके रोग शोक दूर हो जाते हैं ।" 

धर्मराज सावित्री देवी को कहते हैं कि "जन्माष्टमी का व्रत 100 जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाने वाला है।

उपवास से भूख प्यास आदि कष्ट सहने की आदत पड़ जाती है जिससे आदमी का संकल्प बल बढ़ जाता है l  इंद्रियों के संयम से संकल्प की सिध्दि होती है, आत्म विश्वास बढ़ता है जिससे आदमी लौकिक फायदे अच्छी तरह से प्राप्त कर सकता है l इसका मतलब यह नहीं कि व्रत की महिमा सुनकर मधुमयवाले या कमजोर लोग भी निर्जला व्रत रखें।

बालक, अति कमजोर  तथा बूढ़े लोग अनुकूलता के अनुसार थोड़ा फल आदि खाएं।

भविष्य पुरण में लिखा है कि जन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु नहीं होने देता है l

जो जन्माष्टमी का व्रत करते हैं उनके घर में गर्भपात नहीं होता l बच्चा ठीक से पेट में रहता है और ठीक समय बालक का जन्म होता है। 

जन्माष्टमी के दिनों में मिलने वाला पंजरी का प्रसाद वायु नाशक होता है। उसमें अजवाइन जीरा व गुड़ पड़ता है* इस मौसम में वायु की प्रधानता हेतु पंजीरी खाने खिलाने का उत्सव आ गया ।

ये मौसम मंदागिनी का भी है।उपवास रखने से मंदगिनी दूर होगी । और शरीर मे जो अनावश्यक द्रव पड़े है, उपवास करने से वे खींच कर जठर में आकर स्वाहा हो जाएंगे। शारीरिक स्वास्थ्य मिलेगा l

 तो पंजीरी खाने से वायु का प्रभाव दूर होगा और व्रत रखने से चित में भगवतीय आनंद, भगवतीय प्रसन्नता उभरेगी तथा भगवान का ज्ञान देनेवाले गुरु मिलेंगे तो ज्ञान में स्थिति भी होगी l

अपनी संस्कृति के एक एक त्यौहार और एक एक खान पान में ऐसी सुंदर व्यवस्था है कि आपका शरीर स्वस्थ* रहे, मन प्रसन्न रहे और बुध्दि में बुद्धिदाता का ज्ञान छलकता जाए।

जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है तो हम भी जप करेंगे ।

जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है, उसमे भी जन्माष्टमी की पूरी रात जागरण करके, जप ध्यान का विशेष महत्व है।

इस तिथि का इस पर्व का हम अवश्य लाभ लें।

जय श्री कृष्णा सभी अपनी अपनी श्रद्धा से व्रत अवश्य करें । निर्णय सिंधु के अनुसार जो व्यक्ति राम नवमी और श्री कृष्ण जन्म अष्टमी व्रत नही रखते उनको 12 माह में अन्य किए व्रतो का कोई फल नही मिलता ।

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