Health

बच्चों के स्वास्थ्य का है ख्याल, तो इन व्यंजनों का सर्दियों में करें इस्तेमाल

महिलाएं अक्सर अपने बच्चों के खाने को लेकर चिंतित रहती हैं क्योंकि आजकल के बच्चों को जंक फूड काफी पसंद आता है। माताएं अपने बच्चों को पौष्टिक भोजन खिलाना चाहती हैं ताकि उनके बच्चे स्वस्थ, शाक्तिशाली और बुद्धिमान बनें। आइए जानते हैं सर्दियों में बच्चों को क्या दिया जाए, जिसे बच्चे पसंद भी करें और […]

महिलाएं अक्सर अपने बच्चों के खाने को लेकर चिंतित रहती हैं क्योंकि आजकल के बच्चों को जंक फूड काफी पसंद आता है। माताएं अपने बच्चों को पौष्टिक भोजन खिलाना चाहती हैं ताकि उनके बच्चे स्वस्थ, शाक्तिशाली और बुद्धिमान बनें। आइए जानते हैं सर्दियों में बच्चों को क्या दिया जाए, जिसे बच्चे पसंद भी करें और वो उनके लिए स्वास्थ्यवर्द्धक भी हो।

सर्दियों में स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन

गुड़ + नारियल = बुद्धीवर्धक (तो गणपती बप्पा का प्रसाद)

गुड़ + मूंगफली = शक्तिवर्धक (इसलिए श्री हनुमान का प्रसाद)

तिल + गुड़ = कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन + जिंक + सेलेनियम। तिल (ह्रदयरोग) के लिए फायदेमंद और ठंड के 

मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए उपयोगी। सेलेनियम – कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में मदद करता है 

गोंद के लड्डू या राजगिरा के लड्डू गुडदेसी घी रोटी, मूंगफली की चिक्की या भीगे हुए चने, लाह्या (पापकॉर्न)

यदि हम ऐसे कई पदार्थों के मिश्रण और केमीकल कम्पोजिशन को देखे तो वे शरीर के लिए फायदेमंद होंगे!

हमें केवल त्यौहारों को मनाना सिखाया जाता है, इसके पीछे का विज्ञान, उस वातावरण में उसी तरह का भोजन क्यों खाते हैं? यह नहीं सिखाया जा रहा है। अगर यह बताया जाए तो बोर्नविटा, काम्प्लेन और दूसरे फूड सप्लीमेंट कौन लेगा?

क्या हमारे पूर्वज और योद्धा बोर्नविटा और काम्प्लेन पीते थे, नहीं ना? तो क्या वह कमजोर, शक्तिहीन थे? अरे, हमारा एक-एक योद्धा अकेले ही 50-50 दुश्मनों से लड़ता था। उन्हें न तो बोर्नविटा, काम्प्लेन और न ही किसी फूड सप्लीमेंट की जरूरत थी।

इसके अलावा, हमारे पूर्वज इतने बुद्धिमान थे कि उन्होंने अपार खोज की। क्या उन्होंने कोई विटामिन टॉनिक पी थी? हमारे पूर्वज सभी स्वदेशी खाद्य पदार्थों का नियमित रूप से सेवन करते होंगे, इसीलिए हमारी वर्तमान पीढ़ी की तुलना में वो अधिक सशक्त थे स्वस्थ और अधिक बुद्धिमान थे। इसलिए 18-19 वर्ष की आयु में वाग्भट्टजी ने पूरा आयुर्वेद, आर्यभट्ट का पूरा भमिती बीजगणितीय ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने कभी कोई हानिकारक केमिकल युक्त अन्न का सेवन नहीं किया, जिसकी वजह से ये सब कर पाए। 

इसलिए स्वदेशी खाओ, ताकत बढ़ाओ, अपनी संस्कृति में विश्वास करो।

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