नई दिल्लीः करगिल युद्ध को 22 साल पूरे हो गए हैं। सन् 1999 की गर्मियों में जब युद्ध छिड़ा था। कारगिल विजय दिवस से पहले, पूर्व सेना प्रमुख वीपी मलिक, जिन्होंने कारगिल युद्ध की जीत में सेना और देश का नेतृत्व किया, ने भारतीय सेना की ताकत और दृढ़ संकल्प पर बात की। उन्होंने आगे पाकिस्तान की निरंतर गंदी रणनीति पर अपने विचार साझा किए जो निकट भविष्य में कभी नहीं बदल सकते हैं। इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान सैनिकों को अपने इलाके से भगा दिया था। लेकिन जनरल वीपी मलिक का मानना है कि सीजफायर का ऐलान करने से पहले ही भारत सरकार को अपनी सेना को एलओसी से सटे पाकिस्तानी क्षेत्रों पर कब्जा करने की इजाजत दे देनी चाहिए थी।
किसने की कारगिल युद्ध की शुरुआत?
कारगिल युद्ध की कालानुक्रमिक घटना पर बोलते हुए, वीपी मलिक ने कहा, ‘‘युद्ध पाकिस्तान द्वारा शुरू किया गया था। यह विचार उन्हें तब हुआ जब भारत और पाकिस्तान दोनों ने परमाणु परीक्षण किए। भारत ने मई 1998 में परीक्षण किया और पाकिस्तान ने किया कुछ दिनों बाद।’’
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने सोचा कि परमाणु राष्ट्रों के रूप में उनके पास शांति होगी और बातचीत के माध्यम से सभी मतभेदों को आगे बढ़ाना चाहिए। इस निर्णय के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लाहौर आमंत्रित किया गया था, जहां दोनों प्रधानमंत्रियों ने फरवरी 1999 के अंत में लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए थे।
वीपी मलिक ने बताया, ‘‘लेकिन पाक सेना ने उन इलाकों से घुसपैठ की पहल की, जहां हमारे सैनिक उन चौकियों से दूर थे। उन्होंने सर्दियों के महीनों का फायदा उठाकर सैनिकों की घुसपैठ कराई, जब इलाके में भारी हिमपात हुआ था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी खुफिया एजेंसी इस आक्रमण से अनजान थी। शुरुआती धारणा यह थी कि ये सभी मुजाहिदीन हैं लेकिन धीरे-धीरे हमें एहसास हुआ कि ये सभी पाकिस्तानी सैनिक थे।’’
भारतीय सेना को यह समझने में थोड़ा समय लगा कि घुसपैठिए कौन थे और कौन उनका साथ दे रहा था। लेकिन, एक बार जब सुरक्षा बलों ने तथ्यों को स्थापित किया, तो भारत युद्ध के लिए तैयार था।
कारगिल युद्ध में भारत की उपलब्धि
कारगिल पर फिर से कब्जा करने में भारतीय सेना के अदम्य साहस और वीरता के बारे में बताते हुए, वीपी मलिक ने कहा, ‘‘पहली चोटी टोलोलिंगपर फिर से कब्जा कर लिया गया, जो श्रीनगर से जोजिला से कारगिल तक जाने वाली सड़क के करीब था।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘हमारे सैनिक अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए उन चोटियों को फिर से हासिल करते रहे। उन पर न केवल भारत के सुरक्षाबलों ने दबाव डाला बल्कि अंतरराष्ट्रीय दबाव भी डाला गया। बाकी पश्चिमी सीमाओं पर हमने अरब सागर में पाकिस्तान पर दबाव डाला।’’
जैसे ही युद्ध तेज हुआ, पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री मदद के लिए चीन गए और फिर अमेरिका चले गए। अंततः दोनों प्रधानमंत्रियों ने युद्धविराम पर सहमति जताई। लेकिन उस समय तक हमने अपने अधिकांश इलाके पर कब्जा कर लिया था।’’
तोलोलिंग- कारगिल युद्ध में एक महत्वपूर्ण मोड़
कारगिल युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण लड़ाइयों पर बोलते हुए, मलिक ने कहा, ‘‘तोलोलिंग की लड़ाई ने वास्तव में युद्ध का इतिहास ही बदल दिया। इसने मुझे एक सेना प्रमुख के रूप में बहुत आत्मविश्वास दिया। इससे मुझे एहसास हुआ कि हमारे लड़के मजबूत हैं और वे इसे कर सकते हैं। .
उन्होंने कहा, बटालिक, द्रास, टाइगर हिल, 4875 में कुछ लड़ाइयाँ लड़ी गई, जो कुछ प्रमुख लड़ाइयाँ थीं। पहला तोलोलिंग और दूसरा टाइगर हिल प्रमुख केन्द्र रहे क्योंकि इस पर वापस कब्जे के बाद पाकिस्तानी सेना का मनोबल गिरा।
पाकिस्तान और भारत
पाक के अब व्यवहार पर बोलते हुए, वीपी मलिक ने कहा, ‘‘जहां तक पाकिस्तान द्वारा गंदी रणनीति का इस्तेमाल करने का सवाल है, वे इस पर आगे बढ़ेंगे क्योंकि मुजाहिदीन को पाकिस्तानी सेना द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक पाक सेना का सवाल है, मैं यह नहीं कह सकता कि पाकिस्तान पर भरोसा किया जा सकता है।’’ उन्होंने बताया कि भारत को सतर्क रहना चाहिए। और जब भी जरूरत हो उन्हें बालाकोट या उरी की तरह ऑपरेशन करने चाहिए। रक्षात्मक उपायों के साथ-साथ हमें कुछ आक्रामक उपाय भी करने चाहिए।
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