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जांच दलों ने वायु प्रदूषण फैलाने वाली एजेंसियों पर लगाया 76 लाख का जुर्माना

नई दिल्लीः निर्माण व विध्वंस गतिविधियों से निकलने वाली धूल और उससे होने वाले वायु प्रदूषण में कमी लाने के उद्देश्य से दिल्ली-एनसीआर एवं आसपास के क्षेत्रों के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड;  हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों;  और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति […]

नई दिल्लीः निर्माण व विध्वंस गतिविधियों से निकलने वाली धूल और उससे होने वाले वायु प्रदूषण में कमी लाने के उद्देश्य से दिल्ली-एनसीआर एवं आसपास के क्षेत्रों के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड;  हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों;  और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को विशेष टीमों का गठन करने तथा परियोजना से जुड़े परिसरों के साथ-साथ एनसीआर में निर्माण व विध्वंस (सीएंडडी) गतिविधियों से संबंधित सामग्री की ढुलाई का निरीक्षण करने का अभियान शुरू करने का निर्देश दिया।

1600 से भी अधिक सीएंडडी स्‍थलों पर लगभग 174 टीमों का गठन करके इन एजेंसियों द्वारा 31.12.2020 से 15.01.2021 तक निरीक्षण किया गया जिनमें से लगभग 119  स्‍थलों पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्धारित विभिन्न सीएंडडी अपशिष्ट प्रबंधन नियमों/दिशा-निर्देशों और धूल शमन उपायों का अनुपालन न करते हुए पाया गया। इसमें दोषी पाई गई एजेंसियों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति प्रभार के रूप में लगभग 51 लाख रुपये का शुल्‍क लगाया गया। इसके अलावा 27 स्थानों पर काम रोकने के आदेश दिए गए।

निरीक्षण दलों ने सीएंडडी गतिविधियों से संबंधित सामग्री की ढुलाई के संबंध में भी नियम अनुपालन की जांच की। सीएंडडी सामग्री की ढुलाई से संबंधित दिशा-निर्देशों का अनुपालन न करने वाले लगभग 563 वाहनों पर लगभग 25 लाख रुपये का पर्यावरण क्षतिपूर्ति प्रभार या शुल्क लगाया गया।

सीएक्यूएम ने सीएंडडी क्षेत्र से उत्‍पन्‍न होने वाले धूल प्रदूषण में कमी लाने हेतु सीएंडडी अपशिष्ट प्रबंधन नियमों और संबंधित दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए राज्य प्रदूषण बोर्डों से कहा है कि वे इस तरह के पाक्षिक  अभियान को निरंतर जारी रखें। सीएंडडी क्षेत्र से होने वाले धूल प्रदूषण के कारण ही इस क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता निरंतर बिगड़ती जा रही है।

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