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बर्ड फ्लू पर राज्यों को चेतावनी जारी, पर्यावरण मंत्रालय ने पक्षियों की मौत की रिपोर्ट मांगी

नई दिल्लीः कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे देश पर अब बर्ड फ्लू का संकट गहराता जा रहा है। बर्ड फ्लू के डर ने देश के कई राज्यों को बुरी तरह जकड़ लिया है, जिसमें कम से कम आठ राज्य बर्ड फ्लू के एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) तनाव को नियंत्रित करने के लिए अपने अलर्ट मोड […]

नई दिल्लीः कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे देश पर अब बर्ड फ्लू का संकट गहराता जा रहा है। बर्ड फ्लू के डर ने देश के कई राज्यों को बुरी तरह जकड़ लिया है, जिसमें कम से कम आठ राज्य बर्ड फ्लू के एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) तनाव को नियंत्रित करने के लिए अपने अलर्ट मोड पर हैं। इस बीच केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने तत्परता दिखाते हुए मंगलवार को सभी राज्य मुख्य सचिवों और मुख्य वन्यजीव वार्डनों को चिट्ठी लिखकर उनसे एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) के लिए राज्य स्तरीय निगरानी समितियों का गठन करने को कहा है। सभी राज्यों को सलाह दी गई है कि पशुपालन विभाग द्वारा सैंपलिंग टेक्नीक पर आयोजित ट्रेनिंग में भाग लेने के लिए कर्मचारियों/अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की जाए। साथ ही प्रवासी पक्षियों की सभी मौतें- उनकी संख्या और कारण पर्यावरण मंत्रालय को बताया जाए। मंत्रालय ने कहा कि भेजे गए सैंपल और टेस्टिंग रिपोर्ट्स के कलेक्शन, डिस्पैच के लिए स्थानीय पशु चिकित्सा विभाग से संपर्क किया जाना चाहिए।

बहरहाल, 4 राज्यों में बर्ड फ्लू के मामलों की पुष्टि की गई है, जबकि पक्षियों की सामूहिक मृत्यु के कारण 8 राज्यों में दहशत फैल गई है। हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और केरल ने मामलों की पुष्टि की है, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा और जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु जैसे राज्यों ने निगरानी बढ़ा दी है।

हिमाचल प्रदेश, केरल, राजस्थान और मध्य प्रदेश में बर्ड फ्लू के चलते हजारों पक्षी मर गए हैं। हिमाचल में इस मौसम में प्रवासी पक्षी बहुतायत में कांगड़ा और आसपास के इलाकों में आते हैं। सोमवार तक के आंकड़े करीब 2300 पक्षियों के मौत की पुष्टि कर रहे हैं। इसके बाद राज्य सरकार ने कई इलाकों के पक्षियों को मारने के लिए आदेश दिए हैं।

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में अंतरराष्ट्रीय रामसर वेटलैंड पौंग बांध में विदेश से आए परिंदों की मौत बर्ड फ्लू से हुई है। भोपाल स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान ने विदेशी परिंदों की एच5एन1 फ्लू से मौत की पुष्टि की है। इसे एवियन इन्फ्लुएंजा भी कहा जाता है। इससे पहले जालंधर और पालमपुर के कृषि विश्वविद्यालय में हुई जांच में वायरल की पुष्टि तो हुई थी, लेकिन फ्लू के प्रकार का पता नहीं चल पाया था। पौंग झील में अब तक 15 प्रजातियों के 1700 से अधिक विदेशी परिंदे दम तोड़ चुके हैं। 

केरल में पिछले 2-3 दिनों में 12000 से ज्यादा बत्तख केवल दो जिलों कोट्टायम और अलप्पुझा में मर चुकी हैं। इस राज्य में हर साल ही बर्ड फ्लू की मार पड़ती है। वहां भी राज्य सरकार कई प्रभावित इलाकों में पक्षियों को मार रही है। राजस्थान में भी 500 के आसपास पक्षी मारे गए हैं। 

राजस्थान में बर्ड फ्लू के चलते कौए मर रहे हैं और यह सिलसिला लगातार जारी है। सोमवार को भी प्रदेश में 110 पक्षियों की मौत हुई है। प्रदेश में अब तक 500 से अधिक कौओं की मौत हो चुकी है। इससे चिंतित राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार से बर्ड फ्लू पर नियंत्रण को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी मांगी है।

मध्य प्रदेश के इंदौर में 148 कौओं की मौत हो चुकी है। कौओं के शव के सैंपल भोपाल स्थित हाई सिक्योरिटी लैब में भेजे गए थे। उनमें बर्ड फ्लू के वायरस की पुष्टि हुई है। इंदौर में स्वास्थ्य विभाग द्वारा डेली कालेज परिसर के एक किमी के दायरे में रहने वाले लोगों की स्क्रीनिंग के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की टीम भेजी गई और वहां जिन लोगों में सर्दी, खांसी व बुखार के लक्षण मिले हैं, उनका कोरोना टेस्ट करवाया गया। 

केंद्र सरकार ने राज्यों को अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि जिन इलाकों में बर्ड फ्लू से मौतें हो रही हैं, वहां से सैंपल लेने की जरूरत है। अधिकारियों ने क्षेत्र में संदिग्ध फ्लू के लक्षणों वाले लोगों की पहचान करने के लिए एक अभियान भी शुरू किया है।

परिदें ही नहीं, इंसान भी हो सकता है प्रभावित
बर्ड फ्लू से परिदें ही नहीं, इंसान भी प्रभावित हो सकते हैं। मुर्गियों और संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने वाले इन्सान इस बीमारी का शिकार हो सकते हैं। इसका वायरस आंख, मुंह और नाक के जरिये इन्सानों के शरीर में प्रवेश करता है।

क्या हैं लक्षण
बर्ड फ्लू के लक्षण आमतौर पर सामान्य फ्लू की तरह ही होते हैं। एच5एन1 ऐसा फ्लू है, जो पक्षी के फेफड़ों पर हमला करता है। इससे न्यूमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। सांस का उखड़ना, गले में खराश, तेज बुखार, मांसपेशियों और पेट में दर्द, साथ ही छाती में दर्द और दस्त भी इस बीमारी के लक्षण हैं।

प्रवासी पक्षियों की निगरानी के लिए बनेगाएक्शन प्लान
ऐसे में पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों में प्रवासी पक्षियों की निगरानी के लिए एक एक्शन प्लान तैयार करने को कहा गया है। राज्य प्रवासी पशु-पक्षियों के नमूनों के संग्रह में राज्य पशु चिकित्सा विभागों के साथ सहयोग करेंगे। इसमें मृत पक्षियों का सैंपल अत्यंत सावधानी और साइंटिफिक ऑब्जर्बेशन के साथ लिया जाएगा। वहीं, निगरानी केवल संरक्षित क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उन क्षेत्रों में भी होगी जहां प्रवासी पक्षी आते हैं।

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