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3 बहन-भाई सालों रहे अंधेरे कमरे में कैद, 10 साल बाद मिली आजादी

नई दिल्लीः अक्सर ऐसी खबरें आती रहती हैं जहां इंसानों को सालों कैद करके रखा जाता है। ऐसी ही एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां तीन भाई-बहनों को एक अंधेरे कमरे में बंद करके रखा गया था। एक एनजीओ की मदद से तीनों भाई-बहनों को आजाद करवाया गया। इंडिया टुडे की रिर्पोट के […]

नई दिल्लीः अक्सर ऐसी खबरें आती रहती हैं जहां इंसानों को सालों कैद करके रखा जाता है। ऐसी ही एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां तीन भाई-बहनों को एक अंधेरे कमरे में बंद करके रखा गया था। एक एनजीओ की मदद से तीनों भाई-बहनों को आजाद करवाया गया। इंडिया टुडे की रिर्पोट के मुताबिक, मामला राजकोट, गुजरात का है, जहां लगभग एक दशक तक ये तीनों भाई-बहन एक अंधेरे कमरे में बंद रहे। 30 से 42 वर्ष की आयु के तीनों भाई-बहन पूर्ण रूप से शिक्षित हैं और उनके पास विश्वविद्यालय की डिग्री भी है। कहा जाता है कि वे मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं।

उनके पिता के अनुसार, दोनों भाइयों और बहन ने अपनी मां की मृत्यु के बाद खुद को इस कमरें में बंद कर लिया। लेकिन आस-पड़ोस के दूसरे लोगों का दावा है कि उनके पिता अंधविश्वासी थे और अपने परिजनों को काले जादू से बचाने के लिए अधेंरे कमरे में बंद कर दिया था।

इन तीनों को एनजीओ ‘साथी सेवा समूह’ द्वारा एक सूचना के बाद खोजा गया। ये एनजीओ बेघरों के लिए काम करती है। जब एनजीओ के सदस्यों ने रविवार शाम को राजकोट के पॉश किशनपारा इलाके में घर का दौरा किया और दरवाजा खोला, तो उन्होंने पाया कि कमरे में सूरज की रोशनी नहीं है, और यह बासी भोजन,  पुराने अखबारों और मानव मल के साथ ये तीनों उस कमरे में मिले।

भाई-बहन – अमरीश मेहता (42), मेघना मेहता (39) और भावेश मेहता (30) फर्श पर सोते पाए गए। वे उलझे हुए बालों और लंबी दाढ़ी के साथ गंभीर रूप से कुपोषित हालत में पाए गए।

उनके पिता नवीनभाई मेहता, जो एनजीओ के अधिकारियों के कुछ ही समय बाद अपने घर पहुंचे, ने खुलासा किया कि उनके बच्चे लगभग 10 साल पहले अपनी मां की मृत्यु के बाद से ऐसी स्थिति में हैं।

पिता ने कहा कि उनका बड़ा बेटा अमरीश बीए, एलएलबी की डिग्री के साथ अभ्यास करने वाला वकील था, जबकि बेटी मेघना (39) मनोविज्ञान में एमए है। उनके सबसे छोटे बेटे भावेश के पास अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री है और वे एक होनहार क्रिकेट खिलाड़ी थे।

नवीनभाई मेहता ने कहा कि 1986 में उनकी मां के बीमार होने के बाद उनके तीनों बच्चों ने बाहर जाना बंद कर दिया था। छह साल बाद उनकी मौत हो गई, वे दुनिया से पूरी तरह से अलग हो गए और खुद को एक कमरे में बंद कर लिया।

उन्होंने बताया कि वह हर रोज वह कमरे के बाहर खाना रख देते थे। पिता ने यह भी दावा किया कि कुछ लोग कहते हैं कि कुछ रिश्तेदारों ने उन पर काला जादू किया।

‘साथी सेवा समूह’ के जालपा पटेल ने एजेंसी को बताया कि उनके कारावास के कारण, तीनों को तत्काल देखभाल की आवश्यकता थी, एनजीओ अधिकारी ने कहा कि पिता की मदद से भाई-बहनों को बाहर लाया गया और उन्हें नहलाया गया और उनके बाल और दाढ़ी साफ किया गया उसके बाद उन्हें नये कपड़े पहनाये गए। पटेल ने बताया कि वे इन तीनों बहन-भाइयों को ऐसी जगह स्थानांतरित करने की योजना बना रहे हैं जहां उन्हें बेहतर भोजन और उपचार मिल सके।

अभी तक कोई पुलिस शिकायत दर्ज नहीं की गई है।

(With agency input)

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