नई दिल्ली: नाइट वॉचमैन के रूप में काम करने से लेकर प्रतिष्ठित भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) में प्रोफेसर होने तक, यह 28 वर्षीय रंजीथ रामचंद्रन के लिए एक अभूतपूर्व यात्रा रही है। पिछले सोमवार को आईआईएम-रांची में एक सहायक प्रोफेसर के रूप में चयनित, रामचंद्रन ने हाल ही में एक फेसबुक पोस्ट में एक प्रेरणादायक कहानी लिखी। आपको बता दें कि आईआईएम प्रोफेसर बनने से पहले रामचंद्रन एक छोटी सी झोपड़ी जो एक तिरपाल की चादर से ढकी छत की थी, रहते थे। उनके पिता एक दर्जी हैं और माँ एक मनरेगा कार्यकर्ता हैं।
उन्होंने केंद्रीय विश्वविद्यालय, कासरगोड, केरल से स्नातकोत्तर किया और आईआईटी-मद्रास से अर्थशास्त्र में पीएचडी की। वह पिछले दो महीनों से बेंगलुरु के क्राइस्ट विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने दिन में कॉलेज में काम किया और रात में एक गार्ड के रूप में काम किया।
रामचंद्रन ने कहा, “पोस्ट-सेकंडरी के बाद मैं अपने माता-पिता की आर्थिक मदद करने के लिए नौकरी करने का फैसला किया। मैं दिन में कॉलेज जाता था और रात में टेलीफोन एक्सचेंज में 4,000 प्रति माह पर काम किया।
रामचंद्रन ने साझा किया कि एक समय पर, उन्होंने अपनी पीएचडी छोड़ने पर विचार किया था, लेकिन उनके गाइड ने उन्हें समझाया।
”उन्होंने कहा, “प्रो सुभाष, जो मेरे मार्गदर्शक थे, ने मुझे प्रोत्साहित किया और आश्वस्त किया कि पढाई छोड़ने का मेरा निर्णय गलत होगा। मैंने बाधाओं के खिलाफ लड़ने का फैसला किया और IIM में प्रोफेसर बनने के सपने को साकार किया।
रामचंद्रन ने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि पोस्ट वायरल होगी। मैंने अपनी कहानी पोस्ट की थी। उम्मीद है कि यह कुछ अन्य लोगों को प्रेरित करेगी। मैं चाहता हूं कि हर कोई अच्छे सपने देखे और अपने सपनों के लिए संघर्ष करे। मैं चाहता हूं कि दूसरे लोग भी इससे प्रेरित हों और सफलता प्राप्त करें।
केरल के वित्त मंत्री टीएम थॉमस इसाक ने रामचंद्रन को बधाई देते हुए फेसबुक पर कहा कि वह सभी के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
इस्साक ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘‘रंजीथ जैसे लोगों का जीवन, जो विभिन्न संकटों के कारण हतोत्साहित होने से इनकार करते हैं और शिक्षा का उपयोग सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए एक हथियार के रूप में प्रयोग करते हैं।’’
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