लखनऊ: प्रदेश में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार बड़ी तेजी से काम कर रही है। जिलों में स्थापित धार्मिक, एतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के स्थलों को नया रूप दिया जा रहा है। सरकार का प्रयास है कि पर्यटन के रूप में प्रदेश के धार्मिक स्थलों को विकसित कर दुनिया में पहचान दिलाई जाए। इन क्षेत्रों में पर्यटकों की संख्या बढ़े और आसपास रहने वालों को रोजगार के ढ़ेरों अवसर भी मिल सकें।
इस लक्ष्य को पाने के लिए सरकार ने साढ़े 4 साल में पिछड़े जिलों में स्थित पुरातात्विक, सांस्कृतिक, धार्मिक स्थलों और वन क्षेत्रों को नई पहचान दी है। चित्रकूट धाम, विंध्याचल में रोप-वे का संचालन करने के साथ मथुरा के बरसाना में भी रोप-वे का निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। शक्तिपीठ सर्किट एवं आध्यात्मिक सर्किट से जुड़े स्थलों का विकास किया जा रहा है। जैन तथा सूफी सर्किट के तहत आगरा एवं फतेहपुर सीकरी में पर्यटन सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है। पहली बार सरकार ने पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद, चित्रकूट तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद और देवीपाटन तीर्थ विकास परिषद का गठन किया। पिछली सरकारों में इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया। इन क्षेत्रों में तेजी से विकास कार्य करने के साथ पर्यटन स्थलियों में सुविधाओं को भी बढ़ाया जा रहा है। सरकार का प्रयास पर्यटल स्थलों की सूरत और सीरत बदलकर यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ाने की है।
इसके साथ ही इन क्षेत्रों में व्यवसाय, शिल्पकलाओं और रोजगार को बढ़ावा देने की भी बड़ी तैयारी है। प्रदेश में तेजी से पर्यटन क्षेत्रों का बढ़ावा दिये जाने से सभी प्रमुख र्तीर्थ स्थलों और सिद्ध पीठ दुनिया के नक्शे पर अपनी पहचान बनाएंगे। पिछली सरकारों की उपेक्षा के कारण ये सभी स्थल आज तक पर्यटकों की पहुंच से बहुत दूर थे। सरकार की पर्यटन को बढ़ावा देने की नीति का परिणाम है कि पहली बार बड़े-छोटे सभी जिलों के धार्मिक स्थलों को संवारने और संजोने का काम बड़े स्तर पर प्रदेश में शुरु किया गया है।
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