उत्तर प्रदेश

बाल मजदूरी मानवता पर कलंक, इसे रोकना समाज का कर्तव्यः योगी आदित्यनाथ

नई दिल्लीः विश्व बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस (World Day Against Child Labour) हर साल 12 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बाल श्रम की अवैध प्रथा के बारे में जागरूकता फैलाना है जो अभी भी प्रचलित है। इस दिन का उद्देश्य दुनियाभर में इसे पूरी तरह से […]

नई दिल्लीः विश्व बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस (World Day Against Child Labour) हर साल 12 जून को दुनिया भर में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य बाल श्रम की अवैध प्रथा के बारे में जागरूकता फैलाना है जो अभी भी प्रचलित है। इस दिन का उद्देश्य दुनियाभर में इसे पूरी तरह से मिटाने के लिए जागरूकता फैलाना भी है। 19 साल पहले यह विशेष दिन पहली बार 2002 में संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा मनाया गया था। ILO और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में बाल श्रम बढ़कर 160 मिलियन हो गया है।

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा, ‘‘बाल मजदूरी मानवता पर कलंक है। इसे रोकना हर सभ्य समाज का कर्तव्य है। ’विश्व बालश्रम निषेध दिवस’ हमें बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए सचेत करता है। आइए, आज ‘विश्व बालश्रम निषेध दिवस’ के अवसर पर हम सभी इस कलंक को समाप्त करने का प्रण धारण करें।’’

दुनियाभर में बाल श्रम अभी भी मौजूद है और बच्चों, ज्यादातर गरीब परिवारों के बच्चों को नियोक्ताओं से शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण का सामना करने के बावजूद खतरनाक परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे बच्चे अपना बचपन जीने से वंचित रह जाते हैं जबकि कई बच्चों को तो स्कूल जाने का मौका भी नहीं मिलता है।

जैसा कि महामारी के बावजूद देश धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं, जागरूकता बढ़ाना और बाल श्रम को पूरी तरह से समाप्त करना महत्वपूर्ण है।

तमिलनाडु के शिवकाशी शहर में पटाखों के निर्माण से लेकर चूड़ी बनाने के उद्योग या सड़क किनारे भोजनालयों में काम करने तक, बाल श्रम अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्सों में मौजूद है। एक सभ्य समाज के नाते हमें आज यह प्रण करना है कि देश से बाल मजदूरी को खत्म करना है ताकि इन बच्चों को भविष्य उज्जवल हो सके।

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