उत्तर प्रदेश

हरियाली बाबा का आम का बगीचा लगाने का शौक बना आय का स्रोत, सीएम योगी दे चुके हैं प्रथम पुरूस्कार

लखनऊ: संतकबीर नगर जिले के विकास खंड सांथा के हरैया गांव निवासी अखंड प्रताप सिंह उर्फ हरियाली बाबा का आम का बगीचा लगाने का शौक आय का स्रोत बन गया। उनके बगीचे में विभिन्न प्रजाति के आम के पौधे हैं। करीब 28 एकड़ में फैले आम के बगीचे से प्रत्येक वर्ष 20 लाख रुपये की […]

लखनऊ: संतकबीर नगर जिले के विकास खंड सांथा के हरैया गांव निवासी अखंड प्रताप सिंह उर्फ हरियाली बाबा का आम का बगीचा लगाने का शौक आय का स्रोत बन गया। उनके बगीचे में विभिन्न प्रजाति के आम के पौधे हैं। करीब 28 एकड़ में फैले आम के बगीचे से प्रत्येक वर्ष 20 लाख रुपये की आमदनी होती है। इनके बगीचे में 50 से अधिक मजदूरों को रोजगार भी मिलता है। तीन साल पूर्व लखनऊ में आयोजित आम महोत्सव में सीएम योगी आदित्यनाथ ने इनके बगीचे के गौरजीत प्रजाति के आम को प्रथम पुरस्कार दिया था।हरैया गांव निवासी अखंड प्रताप सिंह पेशे से अधिवक्ता हैं। वह सिद्धार्थनगर जिले में सिविल बार के अध्यक्ष भी हैं। अठदमा स्टेट एवं पूर्व कृषि मंत्री दिवाकर विक्रम सिंह से इनके घरेलू ताल्लुकात हैं। पूर्व कृषि मंत्री के आम के बगीचे को देखकर करीब 20 साल पहले इनके मन में आम का बगीचा लगाने का विचार आया। उसके बाद करीब तीन एकड़ में आम का बगीचा लगाए।

पहले साल ही इन्हें करीब 40 हजार रुपये का फायदा हुआ। उसके बाद धीरे-धीरे गौरजीत, दशहरी, कपुरी, आम्रपाली आदि प्रजाति के आम के पौधे लगाए। वर्तमान में करीब 28 एकड़ में आम का बगीचा फैला है। इसमें करीब 6000 आम के पौधे हैं। शुरुआती दौर में आस-पास के जनपदों के बाजारों में इनके आम की बिक्री होती थी, लेकिन अब इनके बगीचे के आम वाराणसी से लेकर नेपाल तक जाते हैं।

अधिवक्ता अखंड प्रताप सिंह बताते हैं कि पूर्व कृषि मंत्री के बगीचे में पारंपरिक तरीके से 40 से 50 फीट की दूरी पर आम के पौधे लगाए गए हैं। जबकि वह इजराइली तकनीकी से दस-दस फीट की दूरी पर आम के पौधे लगाए हैं। इससे कम एरिया में अधिक पौधे लगाए गए। उनके बगीचे में जंगली जानवर भी हैं। बगीचे की देखरेख और साफ-सफाई के लिए 50 मजदूरों को लगाया गया है।

प्रति वर्ष करीब डेढ़ लाख की लागत आती है। जबकि 20 लाख तक की आमदनी हो जाती है। प्रत्येक वर्ष बागवान उनके बागीचे को खरीद लेते हैं और फल को वाराणसी से लेकर नेपाल तक बिक्री करते हैं। उनके बेटे अनादि प्रताप सिंह रेलवे में चीफ कंट्रोलर हैं। अवकाश पर आने पर बगीचे में सुधार की ओर ध्यान देते हैं। उनका सपना है कि बगीचे को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करें। इसके लिए बगीचे के चारों तरफ पक्की बाउंड्रीवाल कराएंगे। वैसे अभी कंटीले तार से घेरे हैं। विभिन्न जानवरों की मूर्तियां स्थापित कराएंगे।

इसके साथ ही देवी-देवताओं की भी मूर्तियां स्थापित कराएंगे। बगीचे को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित कराएंगे। ताकि आस-पास के स्कूल के बच्चे बगीचे में पहुंचे और लुत्फ उठाएं। उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में सिर्फ 1200 आम के पौधे तीन एकड़ में लगाए थे। आमदनी बढ़ने पर बगीचे का दायरा बढ़ा कर अब तक 28 एकड़ कर चुके हैं। अभी दो एकड़ में और पौधे लगाएंगे। इस बगीचे की वह नियमित देखरेख करते हैं। इससे आमदनी तो होती ही साथ में मन को सुकून भी मिलता है। इसके साथ ही लोगों को रोजगार का अवसर भी मिलता है। क्षेत्र में लोग उन्हें हरियाली बाबा के नाम से जानते हैं।

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