नई दिल्ली: हाल ही में उत्तर प्रदेश के एक हजार हिंदुओं का धर्मांतरण करनेवाले दो मौलवियों को बंदी बनाया गया है । तदुपरांत हुई जांच में पाया गया कि उन्हें पाकिस्तान के गुप्तचर संगठन 'आइएसआइ' से आर्थिक सहायता प्राप्त हो रही थी, साथ ही उत्तर प्रदेश सहित दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा और केरल में भी धर्मांतरण का षड्यंत्र चल रहा है । कुछ समय पूर्व केरल में चार महिलाओं सहित कुछ पुरुष 'इसिस' में सहभागी हुए, वे सभी धर्मांतरित थे । संक्षेप में पूरे देश में हो रहे धर्मांतरण का संबंध आतंकवादी गतिविधियां और 'आइएसआइ' से है । इसलिए हिन्दू जनजागृति समिति ने मांग की है कि 'राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण' द्वारा (एनआइए द्वारा) इसकी विस्तृत जांच की जाए।
इससे पूर्व भी केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित मुंबई के डॉ. जाकीर नाइक के 'इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन' के दो सदस्य आतंकवाद विरोधी दल द्वारा पकडे जाने पर उन्होंने स्वीकार किया कि 700 हिन्दुओं का धर्मांतरण किया गया । उन्होंने प्रलोभन देकर तथा बुद्धिभेद (ब्रेनवॉश) कर धर्मांतरण किया । आज देश के अनेक राज्य धर्मांतरण प्रतिबंध कानून बना रहे हैं; परंतु तब भी धर्मांतरण के माध्यम से देशविरोधी गतिविधिया और आतंकवाद सिखाया जा रहा हो, तो उसे प्रतिबंधित करने के लिए मोदी सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर धर्मांतरण के विरोध में कठोर कानून बनाना चाहिए ।
धर्मांतरण के षड्यंत्र में सहभागी लोगों को 'आइएसआइ' तथा देश-विदेश से धनराशि मिल रही थी । ऐसे सभी की संपत्ति जब्त कर उन पर 'राष्ट्रीय सुरक्षा कानून' के अंतर्गत कार्यवाही की जाएगी, ऐसा उत्तर प्रदेश सरकार ने घोषित किया है । इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं । इसी प्रकार राष्ट्रीय स्तर पर भी केंद्र सरकार कठोर कार्यवाही करना आरंभ करे, ऐसी मांग श्री. रमेश शिंदे ने की है ।
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