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धर्म शास्त्र के अनुसार गाय के थन में चारों समुद्रों का वास

संसार में जितनी माताएं हैं उन सभी के स्थान में परमात्मा ने क्षीरसागर दिया है लेकिन वह सिर्फ उसके संतान के लिए मात्र उपयोगी होता है लेकिन गाय के स्थान से निकलने वाली क्षीर सागर समस्त विश्व के लिए उपयोगी होता है। गाय का दूध जल में डालने से उस जल के अंदर सात्विक गुणों […]

संसार में जितनी माताएं हैं उन सभी के स्थान में परमात्मा ने क्षीरसागर दिया है लेकिन वह सिर्फ उसके संतान के लिए मात्र उपयोगी होता है लेकिन गाय के स्थान से निकलने वाली क्षीर सागर समस्त विश्व के लिए उपयोगी होता है।

गाय का दूध जल में डालने से उस जल के अंदर सात्विक गुणों के साथ सूक्ष्म हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट होकर उस जल की पवित्रता बढ़ जाती है।

गाय के दूध से निकलने वाला घृत यज्ञ विधि के द्वारा जब अग्नि में डाला जाता हैं तो विश्व ब्रह्मांड में स्थित चारों सागर यानी गंगा पुष्ट होती है।

गाय का दूध रसायन है इसीलिए इसमें रेडियो विकिरण से रक्षा करने की अद्भुत क्षमता होती है।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 
व्यक्ति को अपनी मन की विकार, चिंता और तनाव को दूर करने के लिए गाय का थोड़ी सी दूध जल में डालकर उस जल से प्रतिदिन स्नान करना चाहिए।

गृह कलह शांति के लिए घर के अंदर चूल्हे की अग्नि को गो दूध छिड़ककर शांत करना चाहिए।

धन की वृद्धि के लिए घर के मुख्य दरवाजे के सामने झाड़ू लगाकर जल में थोड़ी सी गो दूध मिलाकर सुबह में प्रतिदिन छिड़कना चाहिए।

गो दूध में चंद्रमा का वास होने से उसके अंदर सौम्य गुणों की प्रधानता विशेष रूप से होती है। इसीलिए  रूद्र की प्रकोप की शांति के लिए गो दूध से भगवान शिव की रुद्राभिषेक किया जाता है।

सूर्य ग्रह की शांति के लिए जल में थोड़ी सी गोदूध मिलाकर उगते हुए सूर्य को उस जल से अर्घ्य देना चाहिए।

चंद्र ग्रह शांति के लिए सोमवार  को गोदूध का दान करने के साथ संध्या में गो दूध का सेवन करना चाहिए।

शुक्र ग्रह शांति के लिए दोपहर में दही का सेवन करना चाहिए।

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आयुर्वेद शास्त्र के अनुसार 
गो दूध के सेवन से पेट में गैस बनता है तो दूध में सौंफ और मिश्री मिलाकर पीना चाहिए।

गाय के थन से निकलने वाली ताज धारोश्न दूध पीने से शरीर की विकार नष्ट होता है । ठंडा दूध पीने से मोटापा बढ़ता है।

गो दूध का मालिक अपनी पूरे शरीर पर करने के कुछ देर बाद जल से स्नान करने पर शरीर की कोमलता और सुंदरता बढ़ जाती है चर्म रोग नष्ट हो जाता है।

1, आकाशगंगा
2,पातालगंगा
3, पृथ्वी गंगा
4, क्षीरसागर यानी सफेद दूध

 

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