नई दिल्लीः केंद्र सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच 11वें दौर की वार्ता शुक्रवार को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर लगभग दो महीने लंबे गतिरोध को हल करने के लिए आयोजित की गई थी। हालांकि इस बैठक में भी कोई नतीजा नहीं निकला है। किसानों और सरकारों के बीच तीन कृषि कानूनों पर गतिरोध बरकरार है। अगली बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है और सरकार ने कथित तौर पर यूनियनों को बताया है कि सभी संभावित विकल्प दिए गए हैं और अब विरोध करने वाले किसानों पर निर्भर है कि वे 12-18 महीने के लिए अधिनियमों पर रोक लगाने के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करें।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान यूनियनों से कहा कि सरकार एक और बैठक के लिए तैयार है। लेकिन, किसान कानूनों को निलंबित करने के प्रस्ताव पर अड़े हुए हैं। उन्होंने सहयोग के लिए यूनियनों को भी धन्यवाद दिया, उन्होंने कहा कि भले ही कानूनों में कोई समस्या नहीं है, फिर भी सरकार ने उन्हें किसानों के सम्मान में निलंबित करने की पेशकश की।
उन्होंने मीडिया के माध्यम से किसानों से कहा, ‘‘आप अगर किसी निर्णय पर पहुंचते हैं तो हमें सूचित करें। इस पर फिर हम चर्चा करेंगे।’’ हालांकि कृषि मंत्री ने ये भी कहा कि अगली बैठक की कोई तारीख तय नहीं है।
दूसरी तरफ, किसान अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता के बाद किसान नेता ने कहा कि सरकार द्वारा जो प्रस्ताव दिया गया था वो हमने स्वीकार नहीं किया है। कृषि कानूनों को वापस लेने की बात को सरकार ने स्वीकार नहीं किया।
11वें दौर की बैठक से पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रास्ता सरकार के पास है। जब सरकार चाह लेगी इस समस्या का हल निकल जाएगा। वार्ता से किसानों को कोई दिक्कत नहीं है। 26 जनवरी परेड को लेकर टिकैत ने कहा, हमसे तो सरकार ने 26 जनवरी को लेकर कुछ भी नहीं कहा है। पुलिस के साथ आज भी बात होगी। टिकैत ने एक बार फिर दोहराया कि हम रिंग रोड पर ट्रैक्टर रैली जरूर निकलेंगे।
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