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आंध्रा में मंदिरों और मूर्तियों को बनाया जा रहा निशाना, चंद्रबाबू सरकार पर हुए हमलावर

नई दिल्लीः आंध्र प्रदेश में पिछले कुछ समय से हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने और मूर्तियों के अपवित्र किए जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। इतना ही नहीं प्रदेश में दूसरे धर्मों के लोगों को ईसाई बनाने का काम भी तेजी से किया जा रहा है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू […]

नई दिल्लीः आंध्र प्रदेश में पिछले कुछ समय से हिंदू मंदिरों को निशाना बनाने और मूर्तियों के अपवित्र किए जाने की घटनाएं सामने आ रही हैं। इतना ही नहीं प्रदेश में दूसरे धर्मों के लोगों को ईसाई बनाने का काम भी तेजी से किया जा रहा है। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने सत्तारूढ़ जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर मंगलवार को यह आरोप लगाया है। आंध्रा में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है, जब ईसाई धर्मांतरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, जगन के पिता जब सत्ता में थे तब भी ऐसा ही हुआ था। जगन मोहन रेड्डी के पिता राजशेखरेड्डी पर भी ईसाई धर्म को बढ़ावा देने का आरोप लगा था। इन घटनाओं ने सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस और विपक्ष के बीच राज्य के राजनीतिक और धार्मिक तापमान को बढ़ा दिया है।

राज्य में नवीनतम घटना 29 दिसंबर, 2020 को हुई, जब उपद्रवियों ने विजयनगरम जिले के नेल्लीमरला मंडल में एक पहाड़ी मंदिर में राम की एक मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस ने कहा कि उपद्रवियों ने मंदिर में तोड़-फोड़ की और मूर्ति को तोड़ दिया, जिसे कम से कम 400 साल पुराना बताया जाता है।

पिछली कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जैसे कि सितंबर में कुरनूल जिले के पथिकोंडा शहर में एक हनुमान की मूर्ति को हटाना, विजयवाड़ा में पंडित नेहरू बस स्टेशन पर सीता की मूर्ति को ध्वस्त करना, वुयुरु में एक शिवालयम में केतु की मूर्ति को हटाना। कृष्णा जिले में, राजमुंदरी में श्री विग्नेश्वरा मंदिर में सुब्रह्मण्यम की मूर्ति का विघटन और विशाखापत्तनम एजेंसी में पडेरू घाट सड़क पर श्री कोमलम्मा पडालु (भगवान के पैर) का विध्वंस करना और न जाने ऐसी कितनी ही घटनाएं हाल ही में आंध्र प्रदेश में हुईं हैं।

चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी), भाजपा और पवन कल्याण की जन सेना के नेतृत्व में विपक्ष का दावा है कि आंध्र प्रदेश के 13 जिलों में 100 से अधिक ऐसी घटनाएं हुई हैं।

राम की मूर्ति की हाल ही में अपवित्रता किए जाने पर पूरे आंध्र प्रदेश में रोष फैल गया है। सितंबर के बाद से हिंदू मंदिरों पर छिटपुट हमलों के बाद विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी को घेर लिया है। 

हालांकि मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने हाल की घटना की सीआईडी जांच की घोषणा की, लेकिन इसने विपक्ष को सत्ताधारी वाईएसआरसीपी के खिलाफ एक अभियान लॉन्च करने के लिए पर्याप्त सबूत दिए है। विपक्ष ने कहा, यह सब एक ईसाई नेतृत्व में हो रहा है। इस प्रकार की घटनाएं सीएम की निष्पक्षता पर सवाल उठाती हैं, जो खुद ईसाई धर्म का पालन करता है।

विपक्ष ने आंध्र प्रदेश को हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा करने में ’पाकिस्तान से भी बदतर’ होने का आरोप लगाया है। पाकिस्तानी पुलिस ने एक हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ करने के आरोप में 45 लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन, आंध्र प्रदेश में, सरकार ने इस मामले को सिर्फ संज्ञान में लिया है।

अपनी बात को पुख्ता करने के लिए कि सीएम एक ‘हिंदू-विरोधी हैं, तेदेपा ने याद दिलाया कि किस तरह जगन रेड्डी ने नए राज्य की राजधानी अमरावती में वेंकटेश्वर मंदिर (तिरुमाला में निर्माण) के प्रस्ताव को पिछले चंद्रबाबू नायडू शासन के प्रस्ताव के अनुसार चुपचाप दफन कर दिया था।

कई हिंदू धार्मिक मठ और संघ विवाद में कूद गए हैं। वैदिक विद्वान श्री त्रिदंडी श्रीमनारायण रामानुज चिन्ना जीर स्वामी 17 जनवरी से मंदिरों पर हमलों की श्रृंखला के विरोध में यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हैं। स्वामी ने आरोप लगाया, “अगर हमला किसी चर्च या मस्जिद पर होता तो दुनिया भर में बहुत हंगामा और रोना होता। चूंकि हमला एक मंदिर पर हुआ था, इसलिए कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई है।’’ 

मुख्यमंत्री जगन रेड्डी ने यह कहकर अपना बचाव करने की कोशिश की ‘विपक्ष सरकार के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध की कोशिश कर रहा है।’ जगन ने कहा, “यहां तक कि भगवान को राजनीति के खेल में भी नहीं बख्शा जाता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी लाभ लेने के लिए देवी-देवताओं को शामिल कर रहे हैं। यह कलयुग का चरमोत्कर्ष है।”

(With agency input)

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