धर्म-कर्म

Shanidev की 9 सवारियां और जातक पर प्रभाव व उससे बचने के उपाय

शनिदेव के वाहन का निर्धारण जातक के जन्म, नक्षत्र संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनों को जोड़ लें, फिर योगफल को नौ से भाग कर लें। शेष संख्या के आधार पर ही शनिदेव का वाहन का निर्धारण होता है। आइए जानते हैं इन सवारियों के परिणाम और इनसे उबरने के तरीके।

कम लोगों को यह पता होगा कि शनिदेव (Shanidev) की सवारी कौवा या गिद्ध ही नहीं बल्कि कुल 9 सवारी शनिदेव (Shanidev ke 9 vahan) के हैं। इनमें गिद्ध, घोड़ा, गधा, कुत्ता, शेर, सियार, हाथी, मोर और हिरण हैं। शास्त्रों के अनुसार शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर जिसके पास भी जाते हैं, वह व्यक्ति उसी के हिसाब से फल का उत्तरदायी होता है।

शनिदेव के वाहन का निर्धारण जातक के जन्म, नक्षत्र संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि की नक्षत्र संख्या दोनों को जोड़ लें, फिर योगफल को नौ से भाग कर लें। शेष संख्या के आधार पर ही शनिदेव का वाहन का निर्धारण होता है। आइए जानते हैं इन सवारियों के परिणाम और इनसे उबरने के तरीके।

गधा: जब शनिदेव की सवारी गधा होता है तो यह शुभ नहीं माना जाता है। तब जातक को शुभ फलों को मिलने में कमी होती है। जातक को इस स्थिति में कायों में सफलता प्राप्त करने में लिए काफी प्रयास करना होता है। यहां जातक को अपने कर्तव्य का पालन करना हितकर होता हैं।

घोड़ा: यदि शनिदेव की सवारी घोड़ा हो तो जातक को शुभ फल मिलते हैं। इस समय जातक समझदारी से काम लें तो अपने शत्रुओं पर आसानी से विजय पा सकता है। घोड़े को शक्ति का प्रतिक माना जाता है, इसलिय व्यक्ति इस समय जोश और उर्जा से भरा होता है।

हाथी: जातक के लिए शनि का वाहन हाथी हो तो इसे शुभ नहीं माना जाता है। यह जातक को आशा के विपरीत फल देता है। इस स्थिति में जातक को सहसा और हिम्मत से काम लेना चाहिए। विपरीत स्थिति में घबराना बिलकुल नहीं चाहिए।

भैसा: शनिदेव का वाहन भैसा हो तो जातक को मिला जुला फल प्राप्ति की उम्मीद होती है। इस स्थिति में जातक को समझदारी और होशियारी से काम करना ज्यादा बेहतर होता है। यदि जातक सावधानी से काम न ले तो कटु फलों में वृद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है।

सिंह: शनि की सवारी सिंह हो तो जातक को शुभ फल मिलता है। इस समय जातक को समझदारी और चतुराई से काम लेना चाहिए, इससे शत्रु पक्ष को परास्त करने में मदद मिलती है। इस अवधि में जातक को अपने विरोधियों से घबराने या ड़रने की कोई आवश्यकता नहीं है।

सियार: अगर शनि की सवारी सियार हो तो जातक को शुभ फल नहीं मिलते है। इस दौरान जातक को अशुभ सूचनाएं अधिक मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती है। इस स्थिति में जातक को बहुत ही हिम्मत से काम लेना होता है।

कौआ: यदि शनि की सवारी कौआ हो तो जातक को इस अवधि में कलह में बढ़ोतरी होती है। परिवार या दफ्तर में किसी मुद्दे को लेकर कलह या टकरावों की स्थिति से बचना चाहिए। इस समय जातक को शांति, संयम और मसले को बातचीत से हल करने का प्रयास करना चाहिए।

मोर: शनि की सवारी मोर हो तो जातक को शुभ फल देता है। इस समय जातक को अपनी मेहनत के साथ-साथ भाग्य का साथ भी मिलता है। इस दौरान जातक को समझदारी से काम करने पर बड़ी-बड़ी परेशानी से भी पार पाया जा सकता है। इसमें मेहनत से आर्थिक स्थिति को भी सुधारा जा सकता है।

हंस: शनि की सवारी हंस हो तो जातक के लिए बहुत शुभ होता है। इस समय जातक अपनी बुद्धि औए मेहनत करके भाग्य का पूरा सहयोग ले सकता है। यह अवधि में जातक की आर्थिक में सुधार देखने को मिलता है। हंस को शनि के सभी वाहनों में सबसे अच्छा वाहन कहा गया है।