Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक जयंती या गुरुपर्व सिख धर्म के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। यह पहले सिख गुरु और सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
“गुरुपर्व” का शाब्दिक अर्थ है “गुरु (शिक्षक) का त्योहार (पर्व)”।
आइए इसके अर्थ, परंपराओं और आध्यात्मिक महत्व के बारे में जानें।
कब है गुरु पर्व?
गुरु नानक जयंती हिंदू चंद्र महीने कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आती है। गुरु नानक जयंती मंगलवार, 4 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी।
गुरु पर्व कैसे मनाया जाता है?
अखंड पाठ
मुख्य दिन से पहले गुरुद्वारों में गुरु ग्रंथ साहिब (पवित्र ग्रंथ) का 48 घंटे तक लगातार पाठ किया जाता है।
नगर कीर्तन
पंच प्यारे (पांच प्यारे सिख) के नेतृत्व में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है – जिसमें भजन (शबद कीर्तन) गाए जाते हैं, पारंपरिक मार्शल आर्ट (गतका) का प्रदर्शन किया जाता है, और गुरु नानक की शिक्षाओं का प्रचार किया जाता है।
लंगर (सामुदायिक रसोई)
सभी को मुफ्त शाकाहारी भोजन परोसा जाता है – अमीर हो या गरीब, सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता है। यह गुरु की समानता, साझा करने और सामुदायिक सेवा की शिक्षा को दर्शाता है।
कीर्तन और प्रार्थनाएँ
पूरे दिन भक्ति गीत, प्रार्थनाएँ और प्रवचन होते हैं। कई भक्त आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक मानते हुए दीये और मोमबत्तियाँ जलाते हैं।
गुरुद्वारे और घरों को दीयों और मोमबत्तियों से रोशन किया जाता है, जिससे दिवाली जैसा शांत माहौल बनता है।
आध्यात्मिक महत्व
गुरु पर्व भक्तों को गुरु नानक के तीन स्तंभों पर चलने की याद दिलाता है:
नाम जपो – भगवान के नाम का ध्यान करो।
किरत करो – ईमानदारी से कमाओ।
वंड छको – ज़रूरतमंदों के साथ बांटो।
यह विनम्रता, करुणा, सेवा और एकता के मूल्यों को प्रेरित करता है।
यह दिन अज्ञान पर दिव्य ज्ञान की जीत का प्रतीक है।
गुरु नानक जयंती सिर्फ़ एक जन्मदिन नहीं है – यह जागृति का दिन है:
सच्चाई और विनम्रता से जीने का।
जाति, धर्म और अहंकार से ऊपर उठने का।
दूसरों की प्यार और दया से सेवा करने का।
हर इंसान में भगवान की मौजूदगी को महसूस करने का।
यह हमें याद दिलाता है कि “न कोई हिंदू है, न कोई मुसलमान – हम सब एक ही भगवान के बच्चे हैं।”
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएँ
“सच सबसे ऊपर है, लेकिन उससे भी ऊपर है सच्चाई से जीना।”
“जो सभी इंसानों को बराबर समझता है, वही धार्मिक है।”
“वही बोलो जिससे तुम्हें इज़्ज़त मिले।”
“दुनिया में कोई भी इंसान धोखे में न रहे। गुरु के बिना कोई पार नहीं पा सकता।”
इस दिन का सार
सच्चाई
समानता
सेवा
दया
एकता

