धर्म-कर्म

धर्म दर्शन है, प्रदर्शन नहीं!

जबलपुर: समर्थ सद्गुरु भैयाजी सरकार की निर्विकार निर्विकल्प निराहार चातुर्मास महा साधना एवं जन्माष्टमी के पावन पर्व श्रीमद्भागवत तत्व चिंतन सप्ताह के अंतिम दिवस समर्थ सद्गुरु भैयाजी सरकार दादा गुरु ने अपने संदेश में कहा कि धर्म दर्शन है प्रदर्शन नही। दर्शन से परिवर्तन आएगा, प्रदर्शन से नही। धर्म प्रकृति प्रधान है, प्रकृति भाव प्रधान, भाव से […]

जबलपुर: समर्थ सद्गुरु भैयाजी सरकार की निर्विकार निर्विकल्प निराहार चातुर्मास महा साधना एवं जन्माष्टमी के पावन पर्व श्रीमद्भागवत तत्व चिंतन सप्ताह के अंतिम दिवस समर्थ सद्गुरु भैयाजी सरकार दादा गुरु ने अपने संदेश में कहा कि धर्म दर्शन है प्रदर्शन नही। दर्शन से परिवर्तन आएगा, प्रदर्शन से नही। धर्म प्रकृति प्रधान है, प्रकृति भाव प्रधान, भाव से परमसत्ता प्रकृतिमयी ईश्वरीय सत्ता का दर्शन संभव है।

धर्म के मूल में सत्य है, प्रेम है, सेवा है, मर्यादा है; सत्य ही परम धर्म है, धर्म सेवा सर्वोपरि 
आज चारों तरफ संक्रमण आपदा महामारी से जन जीवन ग्रसित हो रहा है मानव जीवन के अस्तित्व पर गहरा संकट आ चुका है गुण धर्म गुण सूत्र संक्रमित व कम जोर हो रहे है जिसके कारण जीव सुरक्षित नही गुण धर्म गुणसूत्रों में हो रहे बदलाव संक्रमण का सबसे बड़ा कारण हमारी जीवन शैली में आया परिवर्तन है अप्राकृतिक साधन संसाधनों का अत्याधिक उपयोग ने हमें प्रकृति से दूर कर दिया प्रकृति के समीप ही जीवन सबसे सुरक्षित व्यवस्थित रहा है।हमारा आहार व्यवहार सब संक्रमित हो चुका है बेहद आवश्यक है कि हम अपने आहार खान पान व्यवहार को पूर्णतः शुद्ध करें आज तामसी प्रवत्ति के कारण प्रकृति का अंधाधुंध शोषण हो रहा है जल वायु में हो रहे तीव्र परिवर्तन का कारण हमारी जीवन शैली है जीव जगत ब्रह्मण्ड के ताप दाब का संतुलन बड़ी तीव्रता से बिगड़ रहा है जिसके कारण अनेक संक्रमण आपदाएं घटनाएं घटित हो रही है।देश दुनिया भीषण त्रासदी आपदा का शिकार हो रहा है इस समस्या महासंकट के निवारण का मात्र एक उपाय है प्रकृति संरक्षण सम्वर्धन के साथ प्रकृति केंद्रित जीवन शैली व्यवस्था और विकास।

हमें हर हाल में धरती जंगल पहाड़ नदियां ,हमारी जीवन धारा आधार शक्ति को संरक्षित करना होगा।तभी हमारा जीवन सुरक्षित व्यवस्थित होगा।

आज धर्म सेवा व्यवस्था विकास के नाम पर जीवनदायनी पवित्र नदियों वन अभ्यारणों पर्वत मालाओं का अंधाधुंध दोहन शोषण हो रहा है चंद स्वार्थी पूंजीपति माफिया दबंग दिन रात अतिक्रमण शोषण कर करोडों जीव को खत्म करने का कृत्य कर रहे है जिसके परिणाम हमारे सामने है हमारा अस्तित्व हमारा सर्वस्व सब जल जमीन जंगल जीवनदायिनी पवित्र नदियों से है इन्ही के समीप हमें वास्तविक ज्ञान प्राप्त हुआ हमारे भगवान आये धर्म धरा और धेनु के लिए।

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