उत्तर प्रदेश

फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन से गंगा के बीच में भी भरी जा सकेगी बोट में गैस

वाराणसी: जिले में आने वाले पर्यटकों को अब गंगा में बोटिंग करते समय ज़हरीले धुँआ का सामना नहीं करना पड़ेगा। तेज आवाज वाले बोट भी अब गंगा में नहीं चलेंगे। सभी डीज़ल आधारित बोटों को देव दीपावली तक सीएनजी आधारित कर दिया जाएगा। जानाकरी के मुताबिक़ दुनिया का पहला शहर और गंगाा नदी होगी जहा इतने […]

वाराणसी: जिले में आने वाले पर्यटकों को अब गंगा में बोटिंग करते समय ज़हरीले धुँआ का सामना नहीं करना पड़ेगा। तेज आवाज वाले बोट भी अब गंगा में नहीं चलेंगे। सभी डीज़ल आधारित बोटों को देव दीपावली तक सीएनजी आधारित कर दिया जाएगा। जानाकरी के मुताबिक़ दुनिया का पहला शहर और गंगाा नदी होगी जहा इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी से नाव का संचालन होगा। गंगा में फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन चलाने की भी योजना है। जिससे गंगा के बीच में भी सीएनजी भरी जा सकेगी।

काशी में गंगा को अविरल और निर्मल बनाए रखने के लिए यूपी सरकार एक बड़ी पहल में मददगार साबित हो रही है। वाराणसी दुनिया का पहला शहर होगा जहां गंगाा नदी में इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी से नाव चलेगी। घाटों के किनारे दो सीएनजी फिलिंग स्टेशन बनेंगे। जिसमे से एक अस्थाई सीएनजी फिलिंग स्टेशन खिड़किया घाट पर काम कर रहा है। इंजीनियरिंग कंसल्टेंसी दे रही मेकॉन लिमिटेड के प्रोजेक्ट इंजीनियर ब्रिज भूषण उपाध्याय ने बताया कि खिड़कियां घाट का सीएनजी फिलिंग स्टेशन ऐसा बनाया जा रहा है ,जो गंगा का जलस्तर बढ़ने पर भी डूबेगा नहीं। इसे फ़्लोटिंग जेटी पर बनाया जाएगा। जो बाढ़ के वक़्त पानी में तैरता हुआ ऊपर उठ जाएगा। और पानी के घटते बढ़ते जलस्तर पर अपने को एडजस्ट कर लेगा। 14 डिस्पेन्सर लगेंगे जिससे एक साथ 28 बोट में सीएनजी भरी जा सकेगी।

साथ ही एक फ़्लोटिंग जेटी पर सीएनजी स्टेशन लगाने की भी योजना चल रही है। जो गंगा के बीच में भी जाकर सीएनजी फिलिंग करेगी। एक बार में करीब 400 बोट में सीएनजी भर सकेगी। अभी तक 95 डीज़ल बोट को सीएनजी में कन्वर्ट किया जा चुका है। क़रीब 1700 बोट गंगा में चलती है। जिसमें से 750 बोट नगर निगम में रजिस्टर्ड है। देव दीपावली तक सभी बोटों में सीएनजी इंजन लगाने का लक्ष्य है। इसके लगने से नाविकों की करीब 50 प्रतिशत तक की बचत होगी। छोटी नाव पर करीब 60 से 70 हजार की लागत आएगी। बड़ी नाव और बजरे पर लगभग दो लाख का खर्च आएगा। इसका दस प्रतिशत नाविकों को देना पड़ेगा। और डीज़ल इंजन वापस करना होगा । गेल इण्डिया ने कोर्पोर्टेट सोशल रेस्पोंसबिल्टी प्रोजेक्ट के तहत इस काम को करा रही है।

सीएनजी आधारित इंजन डीज़ल और पेट्रोल इंजन के मुक़ाबले 7 से 11 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है। सल्फर डाइऑक्सइड जैसे प्रदूषण फ़ैलाने वाले गैसों के न निकलने से भी प्रदूषण काम होता है। डीजल इंजन से नाव चलाने पर जो जहरीला धुँआ में कार्बन मोनोऑक्साइड ,सल्फर,पार्टिकुलेट मैटर,हैवी मेटल आदि गैस पर्यावरण और आस पास रहने वालों को काफ़ी नुकसान करती है जबकि सीएनजी के साथ ऐसा नही है,और सीएनजी की डेनसिटी हवा से कम होने के कारण व पर्यावरण में नही रहती ,सीएनजी टॉक्सिक नही नही होता है । डीजल इंजन के तेज आवाज़ से जो कंपन होता है। उससे इंसान के साथ ही जलीय जीव जन्तुओ पर बुरा असर पड़ता है ,और इको सिस्टम भी खराब होता है

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फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन से गंगा के बीच में भी भरी जा सकेगी बोट में गैस

वाराणसी: जिले में आने वाले पर्यटकों को अब गंगा में बोटिंग करते समय ज़हरीले धुँआ का सामना नहीं करना पड़ेगा। तेज आवाज वाले बोट भी अब गंगा में नहीं चलेंगे। सभी डीज़ल आधारित बोटों को देव दीपावली तक सीएनजी आधारित कर दिया जाएगा। जानाकरी के मुताबिक़ दुनिया का पहला शहर और गंगाा नदी होगी जहा इतने […]

वाराणसी: जिले में आने वाले पर्यटकों को अब गंगा में बोटिंग करते समय ज़हरीले धुँआ का सामना नहीं करना पड़ेगा। तेज आवाज वाले बोट भी अब गंगा में नहीं चलेंगे। सभी डीज़ल आधारित बोटों को देव दीपावली तक सीएनजी आधारित कर दिया जाएगा। जानाकरी के मुताबिक़ दुनिया का पहला शहर और गंगाा नदी होगी जहा इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी से नाव का संचालन होगा। गंगा में फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन चलाने की भी योजना है। जिससे गंगा के बीच में भी सीएनजी भरी जा सकेगी।

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