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Assam: शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, शिक्षकों को नियमित करने में बड़े पैमाने पर धांधली

लखीमपुरः 1991 से 2001 तक नियुक्ति प्राप्त शिक्षकों के पद को नियमित करने के लिए सरकार ने जो व्यवस्था की है उस प्रक्रिया में व्यापक पैमाने पर अनियमितता और धांधली होने की शिकायत मिली है। गत 22 जनवरी को सरकार की तरफ से वेतन प्राप्त बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को शिक्षक के रूप में, वेतन […]

लखीमपुरः 1991 से 2001 तक नियुक्ति प्राप्त शिक्षकों के पद को नियमित करने के लिए सरकार ने जो व्यवस्था की है उस प्रक्रिया में व्यापक पैमाने पर अनियमितता और धांधली होने की शिकायत मिली है। गत 22 जनवरी को सरकार की तरफ से वेतन प्राप्त बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को शिक्षक के रूप में, वेतन प्राप्ति के बाद जिन लोगो का वेतन बंद हो गया था उन्हें ट्यूटर के रूप में और जो वेतन से पूर्ण रूप से वंचित थे और जिन्होंने बुनियादी प्रशिक्षण भी नहीं लिया था उन्हें परवर्ती समय में नियमित किये जाने का निर्णय लिया गया था।

इस मुद्दे को लेकर आज नार्थ लखीमपुर प्रेस क्लब में वेतन वंचित शिक्षकोंके एक गुट द्वारा एक प्रेस मीट का आयोजन किया गया जिनको अरसे तक वेतन मिलने के बाद वेतन मिलना बंद हो गया है और इस समय वे अभावग्रस्त जिन्दगी जीने को विवश हैं। अनियमित शिक्षकों के गुट के सलाहकार निरण बरा और कुमुद सैकिया तथा सभापति अरुण हजारिका ने कहा कि लखीमपुर जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी कर्मचारी कुछ दलालों के सहयोग से वेतन से वंचित कुछ शिक्षकों के साथ मिलकर बहुतेरे वेतन वंचित शिक्षको के नाम वेतन प्राप्त शिक्षकों की तालिका में दिखाकर सरकार को गलत विसंगतिपूर्ण व् त्रुटिपूर्ण तथ्य की जानकारी देकर सैकड़ों वेतन वंचित शिक्षकों के पद को नियमित करने की व्यवस्था की। जबकि जिन लोगों ने उनकी मांग को पूरी नहीं की उनके पद को नियमित नहीं किया गया। नियमित करने की इस प्रक्रिया में शामिल बहुतेरे शिक्षकों के नाम 2012 में शिक्षा संचाल्कालय में जमा दी गई शिक्षको की तालिका और 2017 में जिले की तालिका में कोई मेल  नहीं हैं और बहतेरे शिक्षको को वेतन वंचित शिक्षक के रूप दर्शाया गया है। कुछेक शिक्षको की उम्र कम देखी  गई है। जिसके फलस्वरूप सरकार द्वारा निर्धारित नियमित  किये जाने वाले पदों की संख्या और वेतन प्राप्त शिक्षको के नामकी तालिका में अंतर बताया जाता है। असल में वंचित शिक्षकों के नाम 2012 सन की शिक्षा संचालक की तालिका में वेतन प्राप्त शिक्षक के रूप में शामिल है। इसके साथ ही बहुतेरे शिक्षको मिथ्याचार के जरिये वेतन से वंचित शिक्षक के रूप में तालिका में दिखाया गया है। इस विषय को लेकर जिला आरक्षी अधीक्षक के यहाँ एक मामला भी दर्ज करने की बात शिक्षको के ग्रुप के सभापति ने बताई।

वेतन वंचित शिक्षको के ग्रुप के सभापति अरुण हजारिका और सचिव जान मणि बरा ने मुख्यमंत्री से शिक्षा विभाग से दलाल राज खत्म कर शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म कर साफ़ करने का अनुरोध किया।

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Assam: शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, शिक्षकों को नियमित करने में बड़े पैमाने पर धांधली

लखीमपुरः 1991 से 2001 तक नियुक्ति प्राप्त शिक्षकों के पद को नियमित करने के लिए सरकार ने जो व्यवस्था की है उस प्रक्रिया में व्यापक पैमाने पर अनियमितता और धांधली होने की शिकायत मिली है। गत 22 जनवरी को सरकार की तरफ से वेतन प्राप्त बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को शिक्षक के रूप में, वेतन […]

लखीमपुरः 1991 से 2001 तक नियुक्ति प्राप्त शिक्षकों के पद को नियमित करने के लिए सरकार ने जो व्यवस्था की है उस प्रक्रिया में व्यापक पैमाने पर अनियमितता और धांधली होने की शिकायत मिली है। गत 22 जनवरी को सरकार की तरफ से वेतन प्राप्त बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों को शिक्षक के रूप में, वेतन प्राप्ति के बाद जिन लोगो का वेतन बंद हो गया था उन्हें ट्यूटर के रूप में और जो वेतन से पूर्ण रूप से वंचित थे और जिन्होंने बुनियादी प्रशिक्षण भी नहीं लिया था उन्हें परवर्ती समय में नियमित किये जाने का निर्णय लिया गया था।

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