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Krishna Janmashtami 2022: इस मंदिर में खिड़की से होते हैं कान्हा जी के दर्शन, जानिए क्यों?

देशभर में इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का पर्व आज 19 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण मंदिरों की रौनक देखने लायक होती है। कान्हा के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा कृष्ण मंदिर भी है, जहां कान्हा के खिड़की से दर्शन मिलते हैं।

Krishna Janmashtami 2022: देशभर में इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का पर्व आज 19 अगस्त, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। जन्माष्टमी के दिन कृष्ण मंदिरों की रौनक देखने लायक होती है। कान्हा के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा कृष्ण मंदिर भी है, जहां कान्हा के खिड़की से दर्शन मिलते हैं। मंदिर के भीतर भक्तों के जाने की मनाही है। जानें इस मंदिर के बारे में।

लोगों की आस्था है कि यहां खिड़की से वे ही श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन कर पाते हैं, जिन पर खुद प्रभु की कृपा होती है। यह अद्भुत खिड़की कर्नाटक के उडुपी जिले के कृष्ण मंदिर में है। यह देश के बांके बिहार लाल के प्रसिद्ध मंदिरों में भी एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना 13वीं शताब्दी में हुई थी। इस मंदिर का निर्माण वैष्णव संत श्री माधवाचार्य ने कराया था।

पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, कनकदास छोटी जाति से आते थे। मगर वह कृष्ण प्रेमी थे। छोटी जाति से होने के कारण उन्हें कृष्ण मंदिर में अंदर आकर दर्शन-पूजन की मनाही थी। इसलिए वह मंदिर से दूर खड़े होकर कान्हा को याद किया करते थे। एक दिन कनकदास ने भगवान श्रीकृष्ण से दर्शन कराने की प्रार्थना की। प्रभु ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए मंदिर के पिछले हिस्से में एक खिड़की बनवा दी, जहां हर कोई आ-जा सकता था। कनकदास जब वहां पहुंचे तो भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं उन्हें दर्शन दिए। जब लोगों को यह बात पता चली तो और लोग वहां पर आकर कान्हा की पूजा-अर्चना करने लगे। तब से आजतक यह खिड़की से कान्हा के दर्शन करने की परपंरा प्रचलित है।

कृष्ण मूर्ति को माधवाचार्य ने खोजा
एक किंवदंती यह भी है कि देवलोक के वास्तुकार विश्वकर्मा ने भगवान कृष्ण की एक मूर्ति बनाई, जिसे बाद में माधवाचार्य ने खोजा। एक दिन जब संत मालपे समुद्र तट पर सुबह की प्रार्थना कर रहे थे, तो उन्हें पता चला कि समुद्र में नौकायन करने वाला एक जहाज खराब मौसम के कारण खतरे में है। तब श्री माधवाचार्य ने अपनी दिव्य शक्तियों से जहाज को डूबने से बचाया और मिट्टी में ढंके हुए कृष्ण की यह मूर्ति बरामद की। इसे ही मंदिर में स्थापित किया गया।

इसे दक्षिण की मथुरा भी कहा जाता है
वैसे तो इस प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर में हर दिन ही भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन जन्माष्टमी के दिन यहां की शोभा देखते ही बनती है। उस दिन पूरे मंदिर को फूलों और रंग बिरंगी रोशनियों से सजाया जाता है। उस दिन भगवान के दर्शन करने के लिए भक्तों का अपार जनसमूह उमड़ता है और इस वजह से लोगों को उनकी एक झलक के लिए 3 से 4 घंटे तक इंतजार करना पड़ता है। इस स्थान को दक्षिण की मथुरा भी कहा जाता है।

इस समय कर सकते हैं मंदिर में दर्शन
इस श्री कृष्ण मंदिर में दर्शन के लिए कोई निर्धारित समय नहीं है। एक भक्त सुबह 6.30 बजे से 1.30 बजे के बाद कभी भी मंदिर आ सकता है। ज्यादातर सुबह की पूजा सुबह 9 से दोपहर 12 बजे के बीच की जाती है। शाम को, यदि कोई दर्शन करना चाहता है, तो वह शाम 5 बजे से हो सकते हैं।