रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर गौठानों में किए जा रहे रोजगारमूलक कार्यों से न केवल लोगों को रोजगार उपलब्ध हो रहा है, बल्कि यहां बन रहे जैविक खादों के निर्माण से हानिकारक रासायनिक खादों से छुटकारा भी मिल रहा है। गांवों में निर्मित गौठानों मेें पशुओं को रखने के साथ ही पौष्टिक चारा उपलब्ध कराया जा रहा है। यहां पर पशुओं का उचित देखभाल भी किया जाता है।
बस्तर संभाग के सुकमा जिले में पशुओं को पौष्टिकता से भरपूर हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए 80 गौठानों में लगभग 241.50 एकड के क्षेत्र में चारागाह का निर्माण कर नेपियर घास लगाया गया है। यह अब लहलहाने लगा हैं। नेपियर घास तेजी से विकसित होती है और कटाई के बाद तेजी से बढ़ती है। यह घास पशुओं के लिए पौष्टिकता से भरपूर होती है। आने वाले समय में नेपियर घास एवं नेपियर गांठ विक्रय कर गौठान समितियां, स्व-सहायता समूह को आर्थिक लाभ प्राप्त होगी।
पशु चिकित्सा सेवाएं के उपसंचालक ने बताया की नेपियर घास को सालभर में 6 से 8 बार कटाई करके हरा चारा प्राप्त किया जा सकता है। पोषक तत्वों से भरपूर हाईब्रिड नेपियर घास में कूड प्रोटीन 8-10 फीसदी, क्रुड रेशा 30 फीसदी और कैल्शियम 0.5 फीसदी मौजूद होता है। इसके अलावा 16-20 फीसदी शुष्क पदार्थ के अलावा इसमें 60 फीसदी पाचन क्षमता और 3 फीसदी औक्सालेट से भरपूर होता है।
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