
रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा देने से मछुवारों एवं मत्स्य कृषकों को अपने मत्स्य कारोबार के लिए किसानों के समान सहकारी समितियों से शून्य प्रतिशत ब्याज पर न सिर्फ ऋण मिल सकेगा, बल्कि मत्स्य पालन के लिए सिंचाई जलाशयों से बिना किसी शुल्क के पानी और बिजली की भी सुविधा मिलेगी। इससे मत्स्य पालन को राज्य में बढ़ावा मिलने के साथ मत्स्य उत्पादन की लागत में कमी आएगी। जिसका सीधा लाभ मछुवारा एवं मत्स्य कृषकों को होगा। छत्तीसगढ़ शासन के इस निर्णय से धमतरी जिले के लगभग 8 हजार मत्स्य पालक लाभान्वित होंगे।
धमतरी जिले तालाब और जलाशयों में मछली पालन किया जा रहा है, जो कि हजारों लोगों की आजीविका का साधन है। जिले के 3561 ग्रामीण तालाब, जिसका जलक्षेत्र 4322.172 हेक्टेयर है। इसमें से 3334 ग्रामीण तालाबों में मछली पालन किया जा रहा है। इसी तरह जिले में 50 सिंचाई जलाशयों में मछली पालन किया जा रहा है। मछली बीज उत्पादन एवं संचयन के लिए जिले में छः हैचरी हैं। इनमें सांकरा स्थित शासकीय मत्स्य बीज प्रक्षेत्र सह हेचरी में दो हैचरी, छत्तीसगढ़ मत्स्य महासंघ के अधीन देमार में दो हैचरी, परखंदा में एक हैचरी और एक निजी हैचरी कुसुमखंुटा में है। इसी तरह जिले में पांच मत्स्य बीज प्रक्षेत्र स्थापित है। इनमें सांकरा स्थित शासकीय मत्स्य बीज प्रक्षेत्र सह हैचरी, देमार और परखंदा में छत्तीसगढ़ मत्स्य महासंघ के अधीन एक-एक प्रक्षेत्र तथा कुसुमखुंटा और सिहावा में निजी प्रक्षेत्र शामिल है। ज्ञात हो कि शासकीय मत्स्य बीज प्रक्षेत्रों से मत्स्य पालकों को रियायती शासकीय दर पर मत्स्य बीज उपलब्ध कराई जाती है।

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