ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश में शरणार्थियों की रुप में रह रहे चकमा और हाजोंग्स जनगणना को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से जारी आदेश के बाद मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने शरणार्थियों की जनगणना फिर से शुरू करने तथा पूरा करने की विचार कर रहा है। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि उनकी सरकार लंबे समय से चली आ रही चकमा और हाजोंग शरणार्थियों समस्या को गंभीरता से लिया है । राज्य की इस चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को अन्य राज्यों में पुनर्वासित करनेे की राज्य सरकार विचार कर रहा है। चकमा और हाजोंग शरणार्थियों जनगणना को रोकने के लिए सरकार द्वारा कोई लिखित आदेश नहीं दिया गया है। सरकार जिला प्रशासन को जल्द ही जनगणना फिर से शुरू करने का निर्देश देंगे खांडू ने कहा। मुख्यमंत्री का यह बयान तब आया जब ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन ने पिछले शनिवार को राज्य सरकार को जनगणना फिर से शुरू करने के लिए 15 दिन का अल्टीमेटम दिया था। इसने दावा किया था कि राज्य सरकार को 7 दिसंबर को प्रधान मंत्री कार्यालय से एक पत्र मिलने के बाद जनगणना रुक गई थी। इस महीने की शुरुआत में चकमा डेवलपमेंट फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने पीएम मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को एक याचिका में अरुणाचल प्रदेश में 65,000 चकमा और हाजोंग की नस्लीय प्रोफाइलिंग का आरोप लगाया था।खांडू ने कहा कि राज्य के मूल निवासियों को आश्वासन दिया गया है कि उनकी सरकार चकमा और हाजोंग शरणार्थियों का अन्य राज्यों में पुनर्वास करेगी। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि सरकार के पास प्रामाणिक डेटा होना चाहिए जिसके लिए कानूनी और अवैध शरणार्थियों की सटीक संख्या जानने के लिए गणना प्रक्रिया की जा रही है ताकि हम अन्य राज्यों में उनके तत्काल निपटान के लिए केंद्र के साथ बातचीत शुरू कर सकें। प्रदेश के पूर्व सरकार की आलोचना करते हुए खांडू ने जोर देकर कहा कि किसी ने कभी भी इस जटिल मुद्दे को सुलझाने की कोशिश नहीं की। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह, और राज्य में भाजपा सरकार एक स्थायी समाधान के लिए प्रयास कर रही है। अरुणाचल एक आदिवासी राज्य है और गैर-अरुणाचली लोग यहां नहीं बस सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि शुरुआत में चकमा और हाजोंग लोग राज्य में शरणार्थी के रूप में थे। दुर्भाग्य से वर्षों में उनकी संख्या कई गुना बढ़ गई। राज्य में रहने वाले चकमा और हाजोंगों की संख्या 65,857 है, 2015-16 में सरकार द्वारा किए गए एक विशेष सर्वेक्षण के अनुसार पिछले साल राज्य विधानसभा को सूचित किया गया था। हालांकि अनौपचारिक अनुमानों ने जनसंख्या को 2 लाख से अधिक पर रखा है। यह दोनों समुदायों के लोग मुख्य रूप से चांगलांग, नामसाई और पापुम पारे जिलों में रहते हैं। खांडू ने कहा कि राज्य में चकमाओं और हाजोंगों की स्थिति बहुत खराब है।चकमा और हाजोंग बसने वाले भी इंसान हैं। उन्हें भी यहां काफी परेशानी हो रही है। इसलिए, हमें उनके और हमारी स्वदेशी जनजातियों के लिए एक जीत-जीत समाधान पर पहुंचना होगा। अगर शरणार्थियों को पूरी सुविधाओं के साथ दूसरे राज्यों में बसाया जाता है तो इससे उन्हें फायदा होगा। यह उनके और स्वदेशी लोगों के बीच झगड़ों की छिटपुट घटनाओं को भी समाप्त करेगा और शांति कायम होगी।चकमा, जो बौद्ध हैं, और हाजोंग, जो हिंदू हैं, धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के चटगांव हिल्स ट्रैक्ट से 1964 और 1966 के बीच भारत चले गए और नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंंसी तथा अरुणाचल प्रदेश में बस गए।
अरुणाचल में नही रुकेगी चकमा और हाजोंग शरणार्थियों की जनगणना
ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश में शरणार्थियों की रुप में रह रहे चकमा और हाजोंग्स जनगणना को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से जारी आदेश के बाद मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने शरणार्थियों की जनगणना फिर से शुरू करने तथा पूरा करने की विचार कर रहा है। मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि उनकी सरकार लंबे समय से […]

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