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इंडियन इकोनॉमी से जुड़े तमाम आंकडों की तलाश अब होगी आसान

RBI डाटा ऐप से यूजर्स इंडियन इकोनामी से जुड़े 11,000 से ज्यादा सीरीज के इकोनामिक डाटा देख पाएंगे।

लखनऊ: डीजीटलाइजेशन से लोगों के काम करने का जो प्रॉसेस है वो आसान बना है । रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने आरबीआई डाटा ऐप लांच कर डेटा अट्रैक्टिव तरीके से प्रस्तुत किया है। इससे बैंकिंग सिस्टम को समझने और सिस्टम के बीच ट्रांसपेरेंसी को लेकर चीजे ज्यादा क्लियर रहेंगी। जो फ्रॉड होते हैं उनमें भी कमी आएगी। आरबीआई डाटा ऐप का मकसद इंडियन इकोनामी से जुड़े अहम आंकड़ों को इजी और आम लोगों के लिए उपलब्ध कराना है।

उक्त बातें अर्थशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय एवं रर्बन एग्रीप्रेन्योर्स इन्कुयुबेशन फाउन्डेशन (रैफ) द्वारा कौटिल्य हॉल, अर्थशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित “भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस (DBIE)” और भारतीय रिजर्व बैंक के मोबाइल एप्लिकेशन “RBI डेटा” पर केंद्रित डेटा उपयोगकर्ता कार्यशाला की मुख्य अतिथि भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई की डेटा प्रबंधन और प्रसार प्रभाग कि निदेशिका डॉ. मंजूषा सेनापति ने कही । उन्होंने आगे कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने आर्थिक आंकड़ों तक आसान पहुंच के लिए RBIDATA ऐप लॉन्च किया है। आरबीआई डाटा ऐप भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित व्यापक आर्थिक और वित्तीय आँकड़े उपयोगकर्ता के अनुकूल और आकर्षक प्रारूप में प्रदान करता है।

उपयोगकर्ता ग्राफ/चार्ट में समय श्रृंखला डेटा देख पाएंगे और विश्लेषण के लिए डेटा डाउनलोड कर पाएंगे। इसमें डेटा स्रोत, माप की इकाई, आवृत्ति और हाल के अपडेट जैसे विवरण भी है । यह पहल वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ाती है और नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और जनता को 11,000 से अधिक आर्थिक डेटा श्रृंखलाओं तक सहज पहुंच प्रदान करती है। वित्तीय पारदर्शिता और डेटा की पहुंच बढ़ाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। इस मोबाइल एप्लिकेशन से भारतीय अर्थव्यवस्था से संबंधित व्यापक आर्थिक और वित्तीय आंकड़े नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और जनता को एक विशाल आर्थिक डेटासेट तक सहज पहुंच प्रदान करती है।

RBIDATA मोबाइल एप्लिकेशन डेटा को एक इंटरैक्टिव, उपयोगकर्ता के अनुकूल रूप में प्रस्तुत करता है जो शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, छात्रों और आम जनता की ज़रूरतों को पूरा करता है। यह डेटाबेस भारतीय अर्थव्यवस्था की गतिशीलता और रुझानों को समझने के लिए महत्वपूर्ण है और इसका अक्सर शिक्षाविदों, विश्लेषकों, सरकारी अधिकारियों और वित्तीय बाज़ार प्रतिभागियों द्वारा उपयोग किया जाता है।

कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि भारतीय रिज़र्व बैंक मुंबई के प्रबंधक सृजन हजरा ने मोबाईल, टैब और कंप्यूटर पर ओनलाईन एवं ऑफलाइन डाटा उपयोग की ऑन-हैंड ट्रेनिंग प्रदान करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी महत्वपूर्ण आयामों को शामिल करते हुए सात व्यापक श्रेणियों से डेटा को कवर करता है। इसमें रियलिटी सेक्टर में जीडीपी, औद्योगिक उत्पादन, कृषि, बुनियादी ढांचे और कीमतों पर डेटा शामिल है। वित्तीय सेक्टर में बैंकिंग, सांख्यिकी, मौद्रिक ब्याज दरें शामिल हैं। कॉर्पोरेट सेक्टर में कॉर्पोरेट, उत्पादन और निवेश प्रवृत्तियों को ट्रैक करता है। वित्तीय बाजार में इक्विटी बाजार, ऋण प्रतिभूतियां, विदेशी मुद्रा और कमोडिटी बाजार शामिल हैं। बाहरी सेक्टर में विदेशी व्यापार, भुगतान संतुलन और बाहरी ऋण शामिल हैं। सार्वजनिक वित्त में सरकारी राजस्व, व्यय और ऋण जैसे राजकोषीय समुच्चय पर डेटा के साथ ही सामाजिक-आर्थिक संकेतक जैसे जनसांख्यिकी, श्रम और सामाजिक क्षेत्र के डेटा शामिल हैं।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कला संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो अरविन्द मोहन ने कहा कि आरबीआई का यह इनिसिएटिव निश्चित ही शोध क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लायेगी । इसके उपयोगकर्ता डायनेमिक ग्राफ़ और चार्ट के माध्यम से डेटा देख सकते हैं जो टाइम सीरीज के रुझानों और आर्थिक उतार-चढ़ाव की सहज समझ प्रदान करते हैं। ऑफ़लाइन उपयोग के लिए डेटा डाउनलोड किया जा सकता है, जिससे विश्लेषकों और शिक्षाविदों जैसे उपयोगकर्ता निरंतर इंटरनेट एक्सेस के बिना विस्तृत मूल्यांकन कर सकते हैं। इससे वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा। यह ऐप जटिल आर्थिक डेटा और सार्वजनिक समझ के बीच की खाई को पाटने में सहायता करेगा जिअसे आर्थिक चर्चा और नीति मूल्यांकन में विभिन्न हितधारकों की अधिक भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।

कार्यशाला के संयोजक एवं अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रो विनोद सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय आर्थिक डेटाबेस भारत के आर्थिक डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर में एक आधारशिला है, जो शोध और नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण मैक्रोइकॉनोमिक, वित्तीय और सामाजिक डेटा श्रृंखला का विस्तृत और व्यापक संग्रह प्रदान कर रहा है। यह मोबाइल ऐप डेटा तक सुव्यवस्थित, चलते-फिरते पहुँच प्रदान करके, इंटरैक्टिव चार्ट, आसान डाउनलोड के माध्यम से पारदर्शी, सुलभ और डेटा-संचालित आर्थिक प्रशासन के लक्ष्य को आगे बढ़ाएगा जिससे सभी क्षेत्रों में विश्लेषण और निर्णय लेने में सुविधा होगी। इस प्रकार की कार्यशालाएं आम नागरिक से लेकर विशेषज्ञों तक को नीति निर्माण, व्यावसायिक निर्णय व शैक्षणिक अनुसंधान में सहयोग प्रदान करते हैं।

कार्यशाला की प्रस्तावना रखते हुए अर्थशास्त्र विभाग के वरिष्ठ प्रो. एम.के. अग्रवाल ने कहा कि वैश्विक परिवर्तनों के साथ-साथ भारत भी बदल रहा है। डीजीटलाइजेशन को लेकर भारत ने नए प्रतिमान गढ़ें है । यूपीआई से लेकर आरबीआई के मोबाईल डाटा एप्प तक ये परिवर्तन सामान्य जनजीवन की जन्दगी में सकारात्मक रूपांतरण लायी है । विकसित भारत के विजन को साकार करने में आरबीआई डाटा एप महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा । इससे बैंकिंग सिस्टम को समझने और सिस्टम के बीच ट्रांसपेरेंसी को लेकर चीजे ज्यादा क्लियर रहेंगी । शोध क्षेत्र के लिए अद्यतन डाटा एवं फाइनेंशियल स्थिति से जुड़े आंकड़े उपलब्ध होने से शोध में गुणात्मक परिवर्तन आयेंगे । यह आयोजन शोध जगत के लिए एक मील का पत्थर है, क्योंकि यह न केवल छात्रों, शोधकर्ताओं और नीति-निर्माताओं को सशक्त बनाता है, बल्कि विकसित भारत @2047 की दिशा में डेटा-साक्षरता और सूचना आधारित निर्णय प्रक्रिया को भी बल प्रदान करता है। इस कार्यशाला का उद्देश्य आर्थिक आँकड़ों की समझ विकसित करना, शोध कार्यों में प्राथमिक स्रोतों का उपयोग करना, और नीति-विश्लेषण व निर्णय निर्माण की दिशा में व्यावहारिक दक्षता अर्जित करना है ।

कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ हरनाम सिंह ने कर्शशाला का सञ्चालन करते हुए कहा कि इन्फार्मेशन -टेक्नोलोजी के योग में सुचना ही सशक्तिकरण का आधार है।”डेटा ही भविष्य का ईंधन है” और यदि हमें 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में देखना है, तो डेटा का वैज्ञानिक उपयोग, पारदर्शिता, और जनहित में विश्लेषण अत्यंत आवश्यक है। डेटा सूचनाओं का शोध में सही इस्तेमाल ही अर्थव्यवस्था को गति प्रदान कर विकसित भारत का संकल्प पूर्ण करने में सहायक सिद्ध होगा।