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द्रौपदी मुर्मू NDA की राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित

भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में मुर्मू का नाम तय, बीजद ने खुशी जताया, अगला राष्ट्रपति चुना जाना तय

नई दिल्ली: भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में राष्ट्रपति पद (presidential candidate) के लिए चुनाव में द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) के नाम पर मुहर लग गई है। ओडिशा की रहने वाली द्रौपदी मुर्मू इससे पहले झारखंड की पहली महिला आदिवासी राज्यपाल भी रह चुकी हैं। उनकी उम्र 64 साल है।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मंगलवार को मुर्मू के नाम का ऐलान करते हुए कहा कि इस बार पार्टी नेताओं के बीच राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए 20 नामों पर चर्चा हुई। इसमें तय हुआ कि इस बार चुनाव के लिए पूर्वी भारत से कोई, महिला और आदिवासी होना चाहिए।

द्रौपदी मुर्मू यह चुनाव जीतती हैं, तो वे राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला होंगी। एनडीए की संख्या बल को देखते हुए उनका जितना तय माना जा रहा हैं। उनसे पहले नीलम संजीव रेड्डी देश के सबसे युवा राष्ट्रपति रहे थे। इससे पहले आज ही विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है।

ओडिशा के लिए गर्व का मौका : नवीन पटनायक
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू के नाम का एलान होने पर ओडिशा की सत्तासीन पार्टी बीजू जनता दल ने भी खुशी जताई है। पार्टी के अध्यक्ष और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मुर्मू को बधाई देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके नाम को लेकर चर्चा की थी और उन्हें इस पर काफी खुशी हुई है। यह ओडिशा के लिए एक गर्व का मौका है।

संक्षिप्त जीवन वृत्त
द्रौपदी मुर्मू 20 जून 1958 को ओडिशा में एक आदिवासी परिवार में पैदा हुईं थीं। उन्होंने रामा देवी वीमेंस कॉलेज से स्नातक किया। इसके बाद द्रौपदी ने ओडिशा के राज्य सचिवालय से नौकरी की शुरुआत की।

उनका विवाह श्याम चरण मुर्मू के साथ हुआ है। 1997 में वे पहली बार नगर पंचायत का चुनाव जीत कर पहली बार स्थानीय पार्षद बनी। तीन साल बाद वह रायरंगपुर के उसी निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुनी गईं।

द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार रायरंगपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक रही हैं। वह भाजपा और बीजू जनता दल (बीजद) की गठबंधन सरकार में 6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार और 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री भी रहीं थीं।

उन्हें 2007 में ओडिशा विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए “नीलकंठ पुरस्कार” से सम्मानित किया गया था। 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। वह पहली ऐसी उड़िया नेता हैं, जिन्हें किसी राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया।