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इस मंदिर में सच्चे दिल से प्रार्थना से साक्षात देवी देती हैं दर्शन

अनमोल कुमार अपने से जुड़े इतिहास और अनसुने रहस्यों के चलते पंजाब (Punjab) स्थित पटियाला (Patiala) शहर में स्थित मां काली मंदिर (Maa Kali Mandir) अधिक प्रसिद्ध है। आइए विस्तार पूर्वक जानते हैं इस मंदिर के बारे में। 200 साल पुराना मंदिर पटियाला (Patiala) का यह मंदिर तकरीबन 200 साल पुराना है। मान्यता है कि […]

अनमोल कुमार

अपने से जुड़े इतिहास और अनसुने रहस्यों के चलते पंजाब (Punjab) स्थित पटियाला (Patiala) शहर में स्थित मां काली मंदिर (Maa Kali Mandir) अधिक प्रसिद्ध है। आइए विस्तार पूर्वक जानते हैं इस मंदिर के बारे में।

200 साल पुराना मंदिर
पटियाला (Patiala) का यह मंदिर तकरीबन 200 साल पुराना है। मान्यता है कि इस मंदिर में प्रवेश करने मात्र ही भक्तों के दुखों का नाश होना शुरू हो जाता है। यहां केवल पटियाला या पंजाब से लोग ही नहीं आते बल्कि देश- विदेश से भी यहां भक्तजन माता के दर्शन करने को आते हैं।

सच्चे दिल से प्रार्थना से साक्षात देवी दर्शन
इसके अलावा भक्तों का कहना है कि सच्चे दिल से प्रार्थना करने से यहां साक्षात देवी भगवती के दर्शन होते हैं। गौर करने वाली ये बात है कि यहां स्थित मां काली की मूर्ति कोलकाता से लाई गई है। कहा जाता है कि इस मंदिर का नींव पत्थर पटियाला के 8वें महाराजा भूपिंदर सिंह ने रखा था लेकिन, इसका पूर्ण रूप से निर्माण महाराजा कर्म सिंह ने करवाया था।

पुराना राज राजेश्वरी मंदिर
इस मंदिर परिसर की एक और विशेषता है कि इस मंदिर के बीच में काली मंदिर (Maa Kali Mandir) से भी पुराना राज राजेश्वरी मंदिर (Raaj Rajeshwari Mandir) भी स्थित है। मंदिर के निर्माण के दौरान देवी मां का मूर्ति का मुख शहर के बाहर की तरफ यानी बारादरी गार्डन (Baradari Garden) की तरफ रखा था। उस समय वहां शहरी लोगों का वास इतना नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे आबादी बढ़ी और लोग उस तरफ जाकर रहने लगे तो देवी मां की नजरों के तेज का प्रभाव उन पर न पड़े, इसलिए मंदिर में दीवार बना दी गई।

विधि-विधान से पूजा
रोजाना सुबह देवी मां को स्नान कराने के बाद उनका श्रृंगार किया जाता है। यही नहीं मंदिर में पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना भी की जाती है।

नहीं लगाया जाता हलवे का भोग
अन्य देवियों की तरह यहां मां काली को हलवे का भोग नहीं लगाया जाता है। मां दुर्गा का विकराल रूप कहलाई जाने वाली मां काली को शराब, बकरे, काली मुर्गी का भोग लगाया जाता है। क्योंकि हमारे शास्त्रों में देवी का प्रिय भोग मांस-मदिरा को बताया गया है। लेकिन कई भक्तजन मां को मीठे पान का बीड़ा भी चढ़ाते हैं और नारियल का भोग भी लगाते हैं।