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बिहार की चर्चित मिठाई ‘खुरमा’ नही खाई, तो हैं एक बेहतरीन बिहारी टेस्ट से वंचित

स्पेशल मिठाई “खुरमा” एक बहुत ख़ास और लजीज मिठाई से जोकि केवल छेना (पनीर) और चीनी से बनती है।

बिहार एक स्वादों का प्रदेश है, जहाँ हर स्वाद का मिश्रण मिल जाएगा चाहे वो मिठाई हो, लिट्टी चोखा (Litti Chokha) का शाकाहारी भोजन हो या फिर चम्पारण मटकी मीट का माँसाहारी भोजन हो, हर चीज़ का स्रोत बिहार से ही जुड़ा है और यही कारण है कि ये सारे भोजन की ख्याति देश मे ही नही बल्कि विदेशों में भी देखी जाती है।

खुरमा बिहार के एक प्रसिद्ध मिठाइयों की श्रेणी में आता है, स्पेशल मिठाई “खुरमा” (Khurma) एक बहुत ख़ास और लजीज मिठाई से जोकि केवल छेना (पनीर) और चीनी से बनती है। मुख्यतः खुरमा मिठाई आरा के अलावा बिहार में कही और नहीं मिलती थी, परन्तु इस मिठाई की लोकप्रियता देख अन्य जगहों पर भी यह बनता है जिसे लोग बड़े चाव के साथ खाते है।

अगर आप किसी खुरमे दुकान के बगल से गुजरेंगे तो बड़े-बड़े परात में सजे खुरमें की खुशबू व मिठास आपको अपनी ओर एक बार जरूर खींच लेगी, क्योंकि जो एक बार मीठे और रसीले खुरमा का स्वाद चख ले वो इसका मुरीद बन जाता है। खुरमा मिठाई के मिठास की लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि बिहार की पारंपरिक मिठाई खुरमा विदेशियों को भी खूब भाती है।

भोजपुर जिले का उदवंतनगर गाँव है “खुरमा” मिठाई के प्रसिद्धि का केंद्र
आरा-भोजपुर जिला मुख्यालय, आरा से लगभग 12 किलोमीटर दूर बसे गाँव उदवंतनगर का खुरमा , जो एक बार खा लेता वो इसके स्वाद को कभी नहीं भूलता । यही कारण है कि जो भी लोग उदवंतनगर से होकर गुजरते हैं वो इस मिठाई को खाना नहीं भूलते । केवल छेना और चीनी से बनने वाली ये मिठाई उदवंतनगर गांव और शाहाबाद क्षेत्र के अलावे बिहार में भी कहीं और नहीं मिलती । देखने में खुरमा बिल्कुल अनगढ़ की तरह दिखता है लेकिन अंदर से मिठास के साथ-साथ इतना रसीला होता है कि स्वाद मुख के जिह्वा से सीधा दिल में पहुंच जाता है। इस क्षेत्र के लोग अगर रिश्तेदार के घर जाते हैं तो इस मिठाई की डिमांड और बढ़ जाती है।

जाने कैसे बनता है प्रसिद्ध “खुरमा” मिठाई
भोजपुर जिले के उदवंतनगर गांव में इस मिठाई को बनाने वाले काफी कारीगर हैं ; जोकि बताते हैं कि शुद्ध दूध के छेना से यह मिठाई बनायी जाती है , जिसमें हल्के चीनी का प्रयोग किया जाता है और फिर उतनी ही हल्की चासनी बनायी जाती है , छेने को चौकोर या तिकोर साइज देकर इसे हल्का तलकर अंतिम रूप दिया जाता है और चासनी में थोड़ी देर डुबोने के बाद निकाल लिया जाता है , इसके बाद इसे 250 रुपये प्रति किलोग्राम बेचा जाता हैं।

महंगाई के कारण पिछले साल भर से यह रेट है नहीं तो डेढ़ सौ से दो सौ रुपये ही प्रति किलो इसे बेचा जाता था। इस मिठाई की प्रसिद्धि बिहार के साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों में है । अगर आपने अभी तक यह बहुत ख़ास और लजीज मिठाई नहीं चखी है तो समझिये कि एक बेहतरीन बिहारी टेस्ट से वंचित हैं। इसकी प्रसिद्धि के चर्चे सम्पूर्ण बिहार प्रदेश में है एवं यह मिठाई व्यंजन बिहार प्रदेश की एक पहचान के रूप में उभरने लगी है।

उदवंतनगर के संतोष ने प्रसिद्ध मिठाई “खुरमा” को पहुँचाया अमेरिका, स्पेशल ऑर्डर देकर मंगाते हैं विदेशी
उदवंतनर के हलवाई संतोष बीते साल पटना में आयोजित व्यंजन मेला में अपनी क्षेत्र की इस बेहतरीन मिठाई के साथ आए थे। उन्होंने इस मिठाई के बारे में बताते हुए कहा कि यह मिठाई दिखने में जितनी सुंदर लगती है। उतना ही स्वादिष्ट है इसका स्वाद, एक बार जिस भी व्यक्ति ने इस खुरमा चख लिए, वो इसका स्वाद लेने दोबारा लौटकर जरूर आता है।

हालांकि इसके दिवाने पूरी दुनिया में है और इसका प्रमाण है विदेशों से आने वाले ऑर्डर। जी हां, खुरमा मिठाई के दीवाने न सिर्फ बिहार में बल्कि दुनिया के कई देशों में भी है । संतोष के उदवंतनगर के शॉप पर अमेरिका से खुरमा के लिए स्पेशल ऑर्डर आते हैं।

हालांकि खुरमा का बाज़ार अन्य भारतीय मिठाइयों के मुकाबले थोड़ा सीमित है और इसमें मिलावट की गुंजाइश बहुत कम होती है, जिसके चलते खुरमा बनाने वालों को बहुत फायदा नहीं होता है ।। लेकिन कम मुनाफे के बावजूद कुछ मिठाईवाले अपनी इस पारंपरिक मिठाई को पीढ़ियों से बनाते आ रहे हैं।